नई दिल्ली। कोरोना काल में जहां अपने भी पराए हो गए हैं। तो वहीं वायरोलॉजिस्ट रीतिका ठाकुर ने मानवता की एक मिसाल पेश की है। बता दें कि वह धनबाद के पीएमसीएच कॉलेज में अप्रैल माह से अब तक बिना पारिश्रामिक लिए निस्वार्थ भाव से अपनी सेवाएं दे रही हैं।
फिलहाल रीतिका के कार्य को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उपायुक्त ने पीएमसीएच के प्राचार्य व माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. बी के सिंह को अप्रैल 2020 से लेकर सितंबर 2020 तक का पारिश्रमिक देने के लिए राशि का निर्धारण करने का निर्देश दिया है।
वायरोलॉजिस्ट रीतिका कोलकाता में कर रही हैं रिसर्च
वायरोलॉजिस्ट रीतिका पिछले तीन महीने से पीएमसीएच के माइक्रो बायोलॉजी डिपार्टमेंट में स्वाब जांच करने में सहयोग कर रही हैं। रीतिका प्रतिदिन लैब खुलते ही पीएमसीएच पहुंच जाती हैं और शाम तक अस्पताल के डॉक्टरों के साथ काम करती हैं। रीतिका ने साल 2017 में मणिपाल यूनिवर्सिटी से एमएससी पास की है। इसके बाद इंडियन स्कूल ऑफ वायरोलाॅजिस्ट कोलकाता में रिसर्च कर रही हैं।
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बता दें कि वह मार्च में कोलकाता से धनबाद आई थीं। इसके बाद लॉकडाउन होने के कारण यहीं रह गईं। इसी बीच कोरोना वायरस का असर बढ़ गया। इन्हीं दिनों वह पीएमसीएच के प्रिंसिपल शैलेंद्र कुमार से मिलीं और काम करने की इच्छा जताई। प्रिंसिपल से परमीशन मिलने के बाद वह यहां अपनी सेवाएं देने लगीं।
रीतिका को रिसर्च करना है पसंद
रीतिका के पिता ज्ञानेश्वर कुमार बीसीसीएम में कार्यरत हैं। वह अपने परिवार के साथ धनबाद में सिटी सेंटर के पास रहती हैं। वे कहती हैं कि वायरस को समझना और फिर उस पर रिसर्च करना उन्हें पसंद है। कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए वह रोज पीएमसीएच के लैब से लौटने के बाद सैनिटाइज होती हैं। इसके साथ ही घर पहुंचने पर परिवार से दूरी बनाकर रहती हैं ताकि अन्य फैमिली मेंबर्स इस इंफेक्शन से बच सकें।