आगरा। एडीए (Agra Development Authority) के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र पैंसिया (Dr. Rajendra Pansia) पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के पीछे षडयंत्रों का एक बड़ा दलदल है। व्यवस्था को बदलने के प्रयास के पीछे जब आगरा विकास प्राधिकरण को सुधार की ओर ले जाया गया तो पुराने खेल में लिप्त सपाई माफिया बिलबिला उठे और उनके खिलाफ यहाँ की कथित मीडिया और कुछ कर्मियो के साथ मिल सरकार को बदनाम करने का ही खेल रच डाला।
एडीए में वित्तीय एवं प्रशासनिक अनियमितताओं का आरोप लगाकर खंदारी निवासी शातिर सपाई माफिया हीरालाल अग्रवाल (Hiralal Agarwal) ने पूर्व उपाध्यक्ष की लोकायुक्त में शिकायत की है जबकि शिकायतकर्ता खुद शातिर खिलाड़ी है। एडीए की मोहरें और मिली फाइल असली राज खोलने के लिए पर्याप्त हैं।
एडीए का कुख्यात दलाल हीरालाल अग्रवाल और उसके चार साथी जेल जा चुके हैं। जैसे ही सरकार ने एडीए के उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र पैंसिया को यहाँ से स्थानान्तरित किया तो एडीए का पूरा दलालों का गठजोड़ पूर्व उपाध्यक्ष पर टूट पड़ा। दलाल हीरालाल 1984 से लेकर 2016 तक एडीए में खूब हावी रहा। 2016 में हीरालाल पर जालसाजी की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ लेकिन शातिर हीरालाल ने पहले स्थानीय न्यायालय और फिर उच्च न्यायालय स्थगनादेश ले लिया। हीरालाल के कारनामों की इंतहा जारी रही। धीरे-धीरे जब तीन मुकदमे और लिखे गये तो वर्ष 2021 में हीरालाल को एडीए में आने से प्रतिबंधित कर दिया गया। बस यहीं से षडयंत्र की पटकथा लिखनी शुरू की गई।
हीरालाल अग्रवाल ने सम्पत्ति के कर्मचारियों, दलालों मीडिया ट्रायल से गठजोड़ जारी रखा लेकिन तब तक कोई शिकायत नहीं कर रहा था क्योंकि डॉ. पैंसिया उपाध्यक्ष पद पर काबिज थे और उनसे नजरें बचाकर हीरालाल के करीबी रेवडिय़ाँ बटोरने की जुगत में थे।
एडीए के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र पैंसिया (Dr. Rajendra Pansia) ने सम्पत्ति विक्रय की प्रक्रिया को जब पारदर्शी बनाने की नीयत से ऑन लाइन प्रणाली के तहत लागू कर दिया तो दलाल उबाल खा गये। हीरालाल अग्रवाल के द्वारा तमाम झूठी शिकायतें होने लगीं तो एडीए ने सख्ती बरतते हुए हीरालाल को यहाँ ब्लैक लिस्टेड कर दिया।
डॉ. राजेन्द्र पैंसिया (Dr. Rajendra Pansia) ने आगरा को दी एक नयी पहचान
आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र पैंसिया (Dr. Rajendra Pansia) ने पदभार संभालने के बाद आगरा को एक नयी पहचान दी। अकेले रहनकलां इनररिंग रोड टोल से २१ करोड़ वार्षिक जाता था वह दो वर्षों के लिए 77 करोड़ में दिया गया। जिससे एडीए को 35 करोड़ का लाभ मिला। पहले यही रकम दलालों में बँटती थी और कोई किसी की शिकायत नहीं करता था।
कुल सम्पत्तियों के विक्रय करने पर ऑनलाइन व्यवस्था न होने पर करोड़ों रुपये दलालों में बँटते थे जिन पर रोक लगाई गई। प्राधिकरण में आज तक कंपाउडिंग से कुल अधिकतम वर्ष 2017-18 में 8.5 करोड़ आते थे जो व्यवस्था बदलने के बाद डॉ. पैंसिया के रहते हुए एक वर्ष में 20 करोड़ से भी अधिक धनराशि प्राप्त की गई। इसके पहले ये धनराशि दलालों में बँटती थी और कोई शिकायत नहीं करता था।
पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. पैंसिया की सख्त कार्यप्रणाली के चलते एडीए की सर्वाधिक सीलिंग उनके ही कार्यकाल में हुई। अवैध ध्वस्तीकरण की कार्रवाइयाँ भी चरम पर रहीं।
आज पूरा संसार साइबर संसार में बदल रहा है। एडीए के दलाल चाहते थे कि यहाँ व्यवस्था बीसवीं सदी की तरह सभी काम ऑफ लाइन रहें। पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. पैंसिया ने अपने कार्यकाल में एडीए का आईटी सेल गठन का कार्य मात्र 10 लाख व्यय कर शुरू किया। यह बात दलालों को नागवार गुजरी। सम्पत्ति विवाद के बाबू का ट्रांसफर करते हुए परिसम्पत्तियों को ऑनलाइन करने की प्रक्रिया शुरू की गई जिसमें लगभग 150 पत्रावलियाँ अभी भी नहीं मिल रहीं। पुलिस ने दलाल के घर छापामार 48 पत्रावलियाँ बरामद कीं। पूर्व उपाध्यक्ष ने कामचोर व भ्रष्टाचारी बाबुओं को स्थानान्तरित किया जिससे दलाल बौखला गये।
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लैंड ऑडिट के माध्यम से जमीन पर घूम-घूम कर पूर्व उपाध्यक्ष ने करीब 400 करोड़ से अधिक की सम्पत्तियाँ ढूँढ़ी जो गुम थीं जिनमें 150 करोड़ से अधिक सम्पत्ति का विक्रय भी किया गया। करीब सवा सौ करोड़ से अधिक के कब्जे की प्रॉपर्टी एडीए ने डॉ. पैंसिया के कार्यकाल में मुक्त कराकर सरकार को लाभ पहुँचाया। आगरा के सबसे पुराने आरबीएस कॉलेज में एडीए की २६ बीघा जमीन बाग फरजाना क्षेत्र ने दबा रखी है जो पूरे आगरा का सबसे पॉश एरिया है। यहाँ जमीन का सर्किल मूल्य 550 करोड़ और बाजार मूल्य 900 करोड़ से अधिक है। जयपुर हाउस जैसी अनेक पॉश कालोनी में लोगों ने नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए बिना प्राधिकरण की स्वीकृति करोड़ों रुपये के निर्माण कराये। एडीए ने जब यहाँ 400 नोटिस जारी किये और करोड़ों के राजस्व की वसूली की तैयारी की तो पूर्व उपाध्यक्ष निशाना बनने लगे। लखनऊ, दिल्ली और गाजियाबाद प्राधिकरण की तर्ज पर जब आई लव आगरा सेल्फी प्वाइंट को केवल मेंटीनेंस और चलाने के लिए दिया गया तो एडीए को प्रतिवर्ष करीब 20 लाख की बचत हुई। जिससे एडीए में खलबली मच गई। एडीए कार्यालय के निर्माण का कार्य डॉ. पैंसिया के पहुँचने से पहले बोर्ड द्वारा स्वीकृत हुआ था लेकिन उसमें भी डॉ. पैंसिया की झूठी शिकायत कराई गई। पूर्व उपाध्यक्ष द्वारा नागरिक आगरा विकास प्राधिकरण कार्यालय को चमकाया गया और आईएसओ प्रमाणपत्र दिलाया गया लेकिन दलालों ने इस काम की भी मिर्च लगाकर झूठी शिकायतें कीं।
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पूर्व उपाध्यक्ष के कार्यकाल में कोई भी अवैध अस्पताल या व्यापारिक प्रतिष्ठान नहीं बनने दिया गया बल्कि करीब 400 से अधिक यहाँ बने अवैध अस्पताल एडीए के निशाने पर रहे। सिस्टम को अच्छे से चलाने की जगह जहाँ पुरस्कार देने की जरूरत थी वहाँ भ्रष्टाचारी माफिया तंत्र ने ऐसे अफसर को बदनाम करने की साजिश रच डाली। सुधारात्मक और कठोर कार्रवाइयों के लिए जाने जाते रहे डॉ. पैंसिया भले ही इन आरोपों की परवाह न करते हों लेकिन अन्य अधिकारी खुलकर काम करने से जरूर बचेंगे क्योंकि लोकतंत्र को बर्बाद करने वाली ताकतें अभी भी प्रभावी हैं।
शिकायतकर्ता माफिया हीरालाल अग्रवाल (Hiralal Agarwal) का यह है काला चिट्ठा
एडीएम के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र पैंसिया की सख्त कार्यशैली से भड़के दलालों के सरगना खंदिया निवासी हीरालाल अग्रवाल पुत्र स्व. बैजनाथ अग्रवाल के विरूद्ध कई मुकदमों के कारण पूर्व उपाध्यक्ष ने 22 जून 2021 को प्राधिकरण में प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया था। हीरालाल के विरूद्ध गंभीर आपराधिक वाद वर्ष 2016 से लंबित हैं।
आगरा विकास प्राधिकरण में हीरालाल द्वारा अनैतिक कार्य किये जाने को लेकर प्राधिकरण के सम्पत्ति अनुभाग के समस्त लिपिकों राजीव सक्सेना, सत्येन्द्र सिंह, गिरीश चन्द्र, अतीश शर्मा, मंजू जैन, कन्हैयालाल आदि द्वारा सूचित किये जाने पर कि हीरालाल द्वारा भ्रामित शिकायतें की जाती हैं जिससे लिपिकों का मनोबल टूटता है।
जिस कारण उसका प्राधिकरण में आना प्रतिबंधित किया गया था। पूर्व विधायक हेमलता दिवाकर कुशवाहा द्वारा भी जब एडीए को उनके पत्र 21 दिसम्बर 2021 द्वारा प्राधिकरण को सूचित किया गया था।