नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली कोरोना मोबाइल ऐप (Delhi Corona Mobile App) में अस्पतालों में बिस्तरों के श्रेणीकरण, हेल्पलाइन नंबर बनाने, जांच में देरी और आरटीपीसीआर जांच किट की कमी को लेकर बुधवार को कई निर्देश जारी किए।
बताएं कौन सा बेड oxygen से लैस है
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने अस्पतालों में बिस्तरों की अनुपलब्धता और कोविड मरीजों के इलाज में काम आने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी को लेकर दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार से कहा कि वह अपनी कोरोना मोबाइल ऐप में संशोधन करने पर विचार करे और ऐप में यह जानकारी दी जाए कि कौन से बिस्तर आॅक्सीजन से लैस हैं और कौन से नहीं हैं।
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अदालत ने बिना oxygen वाले बिस्तरों की जरूरत पर सवाल करते हुए कहा कि कोविड-19 से संक्रमित मरीज आम तौर पर घर में पृथक-वास में चला जाता है और उसे अस्पताल में तब भर्ती कराना पड़ता है जब उसे आॅक्सीजन की जरूरत पड़ती है।
अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह एक रिपोर्ट दायर करे जिसमें प्रयोगशालाओं द्वारा जांच में देरी करने और आरटीपीसीआर किटों की कमी को दूर करने के उपायों के बारे में बताया गया हो। अदालत ने कहा कि वह 29 अप्रैल को कोविड-19 से संबंधित सभी मामलों पर आगे सुनवाई करेगी।