लखनऊ। बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर तीखे हमले किए। उन्होंने विधनसभा और विधान परिषद में समाजवादी पार्टी की सरकार में मुकदमा वापसी के मुद्दे को जमकर उठाया। सीएम योगी ने सपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अखिलेश ने खुद के और अपने चार साथियों पर से मुकदमों को वापस लिया था। यही नहीं सीएम योगी ने आतंकवादियों के मुकदमों की वापसी के मुद्दे पर भी सपा और अखिलेश यादव को आड़े हाथों लिया। दस्तावेजों की पड़ताल की जाए तो सपा सरकार पर सीएम योगी द्वारा लगाए गए मुकदमा वापसी के आरोप बिल्कुल सही साबित होते हैं।
मामला वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव का है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर चुनाव आयोग ने मुजफ्फरनगर के खतौली में चुनाव प्रचार के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज कराया था। उन पर चुनाव प्रचार के दौरान तय सीमा से ज्यादा वाहनों के इस्तेमाल आरोप था। इस मामले में अखिलेश के साथ-साथ संजय चौहान, शाहिद अखलाक, राम कुमार यादव और प्रमोद त्यागी आरोपी थे। मुकदमा दर्ज होने के बाद आठ वर्षों तक इस मामले को लंबित रखा गया।
वर्ष 2012 में जब सपा सत्ता में आई तो इस मामले की जांच के लिए सरकार की तरफ से प्रमुख सचिव कानून और प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर दी गई। आचार संहिता उल्लंघन के मामले की कमेटी ने अपने हिसाब से व्याख्या करते हुए उसे राजनीति से प्रेरित बता दिया और मुकदमा वापसी की सिफारिश कर दी। बतौर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कमेटी की सिफारिश पर 23 सितंबर 2016 को हस्ताक्षर किये और मुकदमा वापस ले लिया गया।
सपा सरकार में अपराधी थे सत्ता के सरपरस्त, देशद्रोही आतंकियों के मुकदमें भी ले लिए जाते थे वापस
यहीं नहीं आतंकी हमले के आरोपितों के प्रति सपा द्वारा साफ्ट कार्नर अपनाने का सीएम योगी का यह आरोप भी निराधार नहीं है। अखिलेश सरकार ने 2013 में सात जिलों में आतंकी हमले से जुड़े 21 आरोपियों पर से 14 मुकदमे एक साथ वापस लिए थे। इनमें लखनऊ के छह और कानपुर के तीन मामले थे। इसके अलावा वाराणसी, गोरखपुर, बिजनौर, रामपुर और बाराबंकी का एक-एक मामला था। पांच मार्च, 2013 को वाराणसी के जिस मामले को वापस लिया गया था, वह सात मार्च 2006 में संकट मोचन मंदिर एवं रेलवे स्टेशन कैंट पर हुए सिलसिलेवार बम धमाके से जुड़ा था।
इसी तरह एक प्रकरण वाराणसी के दशाश्वमेध घाट का है, जहां प्रेशर कुकर में घड़ी लगा विस्फोटक किया गया था। इस आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत हुई थी और 101 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इसमें मुख्य आरोपित आतंकी संगठन हूजी से जुड़ा शमीम अहमद है। इसी तरह से 20 मई, 2007 को गोरखपुर के बलदेव प्लाजा, जरकल बिल्डिंग और गणेश चौराहा पर हुए सिलसिलेवार विस्फोट के मामले को राज्य सरकार ने वापस ले लिया था।