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उत्तराखंड: सेवाओं में काम करने वाली महिलाओं के लिए बना ‘शिकायत निवारण समिति’

TIRATH SINGH RAWAT

TIRATH SINGH RAWAT

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा की ओर एक और बड़ा कदम उठाया है। सीएम तीरथ (CM Tirath) ने महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति का गठन किया है। इसमें सरकारी सेवाओं में काम करने वाली महिला अधिकारी और कर्मचारी इस समिति के सामने अपनी शिकायतें दर्ज करा सकती हैं।
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प्रदेश की भाजपा सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम बढ़ाया है।  उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (CM Tirath)  ने महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए “राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति” का गठन किया है जिसमें सरकारी सेवाओं में काम करने वाली महिला अधिकारी और कर्मचारी इस समिति के सामने अपनी शिकायतें दर्ज करा सकती हैं। इसके लिए विधिवत आदेश भी जारी कर दिया गया है। सचिव हरीश चंद्र सेमवाल की ओर से जारी किए गए आदेश में राज्याधीन सेवाओं में काम करने वाली महिला अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों की सुनवाई की जाएगी।

महिलाओं की सुरक्षा की ओर तीरथ सरकार का कदम

इस राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को अध्यक्ष बनाया गया है। 7 सदस्यीय कमेटी में निदेशक महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास को सदस्य सचिव के रूप में नामित किया गया है।  कमेटी के सदस्यों में प्रमुख सचिव न्याय विभाग, सचिव राधिका झा, अपर सचिव झरना कमठान, निदेशक महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास, पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड द्वारा नामित अपर पुलिस महानिदेशक से अन्यून अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता अदिति पी कौर को शामिल किया गया है।

बता दें कि राज्याधीन सेवाओं में काम करने वाली महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न समेत अन्य प्रकार के उत्पीड़न के मामले पहले सामने आ चुके हैं जिसे देखते हुए इन मामलों के निस्तारण को लेकर राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति का गठन किया गया है। समिति द्वारा शिकायतों की सुनवाई के संबंध में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का निर्धारण स्वयं किया जाएगा

समिति द्वारा उसके समकक्ष प्रस्तुत प्रत्येक मामलों में अपनी संस्तुति शासन के संबंधित विभाग को दी जाएगी। इसके साथ ही इस समिति के गठन का मुख्य वजह ये है कि राज्याधीन सेवाओं में काम करने वाली महिला अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कार्यस्थल को यौन उत्पीड़न या फिर अन्य प्रकार के उत्पीड़न से मुक्त रखा जाए ।

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