जगदलपुर। बस्तर गोंचा महपर्व में शामिल होने हेतु प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी परंपरानुसार 360 घर आरण्यक ब्राम्हण समाज का प्रतिनिधि मण्डल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (CM Sai ) से उनके निवास में बुधवार रात्रि में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व जगदलपुर विधायक किरण सिंह देव के नेतृत्व में न्यौता सौंपकर मुख्यमंत्री (CM Sai ) को बताया कि बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में बस्तर गोंचा महापर्व 22 जून से प्रारंभ हो गया है। 15 जुलाई तक चलने वाले इस महापर्व में भगवान श्रीजगन्नाथ स्वामी की रथ या़त्रा (श्री गोंचा पूजा विधान) 07 जुलाई को संपन्न किया जायेगा।
मुख्यमंत्री (CM Sai ) ने न्यौता के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए रियासत कालीन परंपरा के निर्वहन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी, साथ ही बस्तर गोंचा महापर्व के बीच में एक दिन भगवान श्रीजगन्नाथ के दर्शन करने के लिए जगदलपुर आने की सहमति प्रदान किया है, बस्तर गोंचा महापर्व के दौरान मुख्यमंत्री के बस्तर प्रवास की सूचना पर इससे अवगत करवाया जाएगा।
प्रतिनिधि मण्डल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (CM Sai ) को बताया कि बस्तर संभाग मुख्यालय में रियासतकालीन दौर में बस्तर महाराजा पुरषोत्तम देव ने वर्ष 1408 से बस्तर में ऐतिहासिक गोंचा महापर्व मनाये जाने की शुरूआत की। भगवान जगन्नाथ महाप्रभु की आराधना के इस महापर्व में श्रीगोंचा रथ यात्रा पूजा विधान, हेरा पंचमी पूजा विधान, बाहूड़ा गोंचा पूजा विधान और प्रतिदिन अमनिया भोग के अर्पण की रियासत कालीन परंपरा का निर्वहन अनवरत 617 वर्षों से जारी है। इसके साथ ही एक दिन बड़े स्वरूप में भगवान श्रीजगन्नाथ को 56 भोग का अर्पण भी किया जाता है।
श्रीजगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलरामजी के विग्रहों को रथारूढ़ कर रथयात्रा के दौरान हजारों श्रद्धालुओं द्वारा बांस की तुपकी में मालकांगनी के बीज रखकर भगवान को सलामी दी जाती है, यह बस्तर गोंचा महापर्व को पूरे विश्व में सबसे अलग एवं अनूठा महापर्व के रूप में स्थापित करता है।
मुख्यमंत्री साय से मिलने जनदर्शन में पहुंचे हजारों लोग
बस्तर में बंदूक को तुपक कहा जाता है, तुपक शब्द से ही तुपकी शब्द बोल-चाल में प्रचलित हुआ है, इसे चलाने से पटाखे जैसी आवाज होती है। इस दौरान प्रतिनिधि मण्डल में 360 घर आरण्यक ब्राम्हण समाज के अध्यक्ष ईश्वर नाथ खम्बारी, बस्तर गोंचा समिति के अध्यक्ष विवेक पाण्डे, सहित रजनीश पाणीग्राही, वेदप्रकाश पांडे , नरेन्द्र पाणीग्राही, दिनेश पाणिग्राही, हेमंत पांडे, ओंकार पांडे, आत्माराम जोशी, डिलेश्वर पांडे, गजेंद्र पाणिग्राही, चिंतामणि पांडे, विजय पांडे, बिम्बाधर, ईश्वर पाणिग्राही, वेणुधर पाणिग्राही, हेमंत पाणिग्राही, प्रशांत पाणिग्राही, जय प्रकाश पाढ़ी, विमल पांडे, देवकृष्ण पानीग्राही, नुरनेश पानीग्राही, ललित पाणिग्राही शामिल थे।