लुधियाना। तीन किसान कानूनों के मुद्दे पर चरणजीत सिंह चन्नी की कांग्रेस सरकार कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। पंजाब की सीएम चन्नी ने केंद्र सरकार को तीन कृषि कानून रद्द करने के लिए सात नवंबर तक का समय दिया है। चन्नी का कहना है कि अगर केंद्र सरकार ऐसा नहीं करती है तो फिर 8 नवंबर को पंजाब विधानसभा में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास किया जाएगा।
चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि 8 नवंबर को पंजाब विधानसभा में तीन कृषि कानूनों को रद्द किया जाएगा। उन्होंने कहा, मेरी केंद्र सरकार से अपील है कि सात नवंबर तक कृषि कानूनों को रद्द कर दिया जाए। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो 8 नवंबर को हम पंजाब विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाकर इन कानूनों को रद्द करेंगे।
बीएसएफ को मिले नए अधिकार को वापस लेने की माग
चन्नी ने केंद्र सरकार द्वारा बीएसएफ का दायरा बढ़ाए जाने पर नाराजगी जताते हुए इस भी वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पंजाब सरकार से कोई भी बातचीत नहीं की गई। उन्होंने कहा कि यह गैर संवैधानिक है। सीएम ने कहा कि इससे केंद्र व राज्य सरकारों के रिश्ते खराब होते हैं। यह राज्य में गवर्नर राज के संकेत हैं। सीएम चन्नी ने कहा कि पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में इस पर भी चर्चा होगी। उद्योग एवं व्यापार जगत के बारे में चर्चा करते हुए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि व्यपारियों के लिए इंस्पेक्टरी राज खत्म होगा। सीएम ने कहा, केंद्र सरकार को बीएसएफ को दिए गए नए अधिकार सात नवंबर तक वापस लेने चाहिए। सरकार ऐसा नहीं करती है तो 8 नवंबर को पंजाब विधानसभा में इसके खिलाफ भी प्रस्ताव पास किया जाएगा।
पंजाब में पटाखे बेचने पर नहीं लगेगा प्रतिबंध
सीएम चन्नी ने कहा कि पंजाब में पटाखे बेचने पर रोक नहीं लगेगी। सिर्फ प्रदूषण के नियमों का पालन होगा। उन्होंने कहा कि उन्होंने खुद पटाखे बेचे हैं, इसलिए व्यापारियों के दर्द को समझता हूं। बता दें, चंडीगढ़ में पटाखों पर प्रतिबंध लग गया है। ऐसे में आशंका जताई जा रही थी कि पंजाब में भी इस पर प्रतिबंध लग सकता है। इसको लेकर व्यापारी आशंकित थे। व्यापारियों की आशंका को दूर करते हुए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि पंजाब में पटाखे बेचने पर प्रतिबंध नहीं रहेगा।
पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कैबिनेट की मीटिंग के बाद 8 नवंबर को पंजाब विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाने का एलान किया है। बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के 11 महीने पूरे होने के मौके पर चन्नी की ओर से कैबिनेट की मीटिंग बुलाई गई थी। पिछले साल सितंबर के बाद से ही तीन कृषि कानून पंजाब की सियासत का सबसे बड़ा मुद्दा बने हुए हैं।