गया। नोबल शांति पुरस्कार विजेता व बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि आज भारत को अपनी प्राचीन शिक्षा पद्धति अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में अहिंसा, करुणा और लोकतंत्र का संदेश है जो आज की वैश्विक परिस्थिति में काफी मायने रखता है। दलाई लामा बुधवार को महाबोधि मंदिर में पूजा-अर्चना करने के पश्चात मीडिया को संबोधित किया।
समृद्ध एवं विश्व स्तरीय शिक्षा पद्धति आज भी प्राचीन भारत की शिक्षा व्यवस्था की महत्ता की प्रामाणिकता
दलाई लामा ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की चर्चा करते हुए कहा कि समृद्ध एवं विश्व स्तरीय शिक्षा पद्धति आज भी प्राचीन भारत की शिक्षा व्यवस्था की महत्ता की प्रामाणिकता है। उन्होंने कि चीन पारंपरिक रूप से बुद्धिष्ट देश है। वर्तमान में चीन में सबसे ज्यादा संख्या बौद्धों की है। तिब्बतियन बुद्धिज्म को चीनी नागरिक अनुसरण कर रहे हैं। चीन के विश्वविद्यालयों में काफी संख्या में बुद्धिष्ट स्कॉलर हैंं।
#WATCH Dalai Lama in Gaya, on 'what message does he have for Chinese govt': We have the power of truth. Chinese communists have the power of gun. In the long run, power of truth is much stronger than power of gun. #Bihar pic.twitter.com/dzp6gEMoUh
— ANI (@ANI) December 25, 2019
तीन साल पहले किए गए सर्वे में चीन में तिब्बतियन बुद्धिज्म अपनाने वालों की संख्या में काफी वृद्धि हुई
दलाई लामा ने बताया कि तीन साल पहले किए गए सर्वे में चीन में तिब्बतियन बुद्धिज्म अपनाने वालों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि हमारे पास सच्चाई की ताकत है, जबकि चाइनीज कम्युनिस्ट के पास बंदूक की ताकत है। दलाई लामा ने विश्व मेंं फैल रही हिंसा की निंदा की। उन्होंने कहा कि सामाजिक प्राणी होने के कारण हम सभी के लिए करुणा अपनाना जरूरी है। इससे प्राप्त खुशी से मानसिक शांति मिलती है। दलाई लामा ने कहा कि मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देना चाहिए। धर्म के नाम पर हिंसा नहींं होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि दलाई लामा की सुरक्षा को लेकर व्यापक पैमाने पर तैयारी की गई है। दलाई लामा का आवासन स्थल तिब्बती मोनेस्ट्री हैं।