जयपुर: राजस्थान की सत्ता संभाल रहे अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के लिए राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha elections) कड़ी परीक्षा साबित हो रहा है। चुनाव में बीजेपी के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के मैदान में आने से राजस्थान में कांग्रेस के सामने तीसरे उम्मीदवार की जीत को लेकर मुश्किल खड़ी हो गई है। राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के नतीजे से मुख्यमंत्री (Chief Minister) अशोक गहलोत का राजनीतिक भविष्य भी तय हो सकता है। राज्यसभा चुनाव ऐसे वक्त में हो रहे हैं, जहां एक तरफ पार्टी हाईकमान राजस्थान में तय करने पर विचार कर रहा है कि 2023 में विधासनभा चुनाव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में लड़ा जाए या फिर सचिन पायलट को कमान सौंपी जाए।
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अशोक गहलोत के सामने बड़ी चुनौती है, क्योंकि सिर्फ निर्दलीय व सहयोगी दल ही नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के कई विधायक भी सरकार से नाराज हैं। कांग्रेस को राजस्थान में तीसरी सीट जीतने के लिए 13 निर्दलीय विधायक, 2 बीटीपी और 2 सीपीएम के विधायकों के समर्थन की दरकार है। कांग्रेस के पास 108 खुद के विधायक हैं और एक सरकार में मंत्री राष्ट्रीय लोकदल के सुभाष गर्ग का औपचारिक समर्थन है।
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जाहिर है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निर्दलीयों और अपनी पार्टी के नाराज विधायकों को साधने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। पार्टी के एक नेता का दावा है कि गहलोत के सामने ये चुन्नौती भी ठीक वैसी ही है जैसी पौने दो साल पहले सरकार बचाने की थी।