लखनऊ डेस्क। पूर्वी भारत में मनाए जाने वाले इस पर्व का मुख्य केंद्र बिहार रहा है लेकिन समय के साथ-साथ यह पर्व केवल पूरे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाया जाने लगा है। हिंदी कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक इस महापर्व को मनाया जाता है।
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आपको बता दें इस व्रत को करने से पहले तन और मन दोनों साफ होने चाहिए। नहाय-खाय के दिन व्रती स्नान कर नए कपड़े पहनते हैं और शुद्ध सात्विक भोजन करते हैं। इस दिन चने की दाल और लौकी की सब्जी खाने का विशेष महत्व है। वहीँ दूसरे दिन शाम में व्रत धारियों के द्वारा गुड़ वाली खीर विशेष प्रसाद के तौर पर बनाया जाता है। पूजा-पाठ करने के बाद व्रती इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं। व्रत धारियों के प्रसाद ग्रहण करने के बाद घर के सभी सदस्यों को यह प्रसाद दिया जाता है।
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जानकारी के मुताबिक तीसरे दिन हिंदू धर्म में उगते हुए सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। लेकिन छठ पूजा के दौरान डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है। व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर शाम में पूजा की तैयारी करते हैं। नदी या तलाब में व्रती खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं।