CS Upadhyay

तीन दशक पुराने ‘न्यायिक-भाषायी स्वतंत्रता अभियान’ को चंद्रशेखर ले आए हैं अंतिम द्वार पर

225 0

देहारादून। ‘हिन्दी ‘और ‘ संघर्ष ‘ उनके ‘ रक्त ‘ एवम्  ‘ वंश ‘ में है। जिस वर्ष उनका जन्म हुआ, उनके पिता को ‘हिन्दी-आन्दोलन’ में   जेल जाना पड़ा था, मां की गोद में यह सब देखा -सुना ही होगा,   तो गोदी में ही हिन्दी के लिए ‘ कुछ- करो ‘ का अंकुर पड़ गया था। वह हिन्दी- माध्यम से एल-एल.एम. उत्तीर्ण करने वाले पहले भारतीय छात्र हैं। 11वीं कक्षा में पढ़ते हुए पत्रकारिता से अपना कैरियर  शुरू करने वाले चंद्रशेखर (Chandrashekhar) की पहचान बतौर विधि- प्राध्यापक,विद्यार्थी -हितों के लिए संघर्षशील एक छात्र नेता सरीखी रही है।उन्होंने निचली अदालतों में हिन्दी को बढ़ावा देने की मुहिम चलाई।

वह (Chandrashekhar Upadhyay) 02 जुलाई, 2000 और 21 अक्टूबर, 2000 को एक दिन में सर्वाधिक वाद निस्तारित करने वाले देश के पहले एवं एकमात्र न्यायाधीश हैं। उत्तराखंड में देश के सबसे कम आयु के एडीशनल एडवोकेट जनरल रहते हुए उन्होंने 12 अक्टूबर, 2004 को पहली बार इलाहाबाद  हाईकोर्ट में हिन्दी भाषा में प्रतिशपथपत्र दाखिल कर और उसे स्वीकार कराकर एक इतिहास रच दिया था। उत्तराखंड तब भी और आज भी देश का पहला और एकमात्र  राज्य है जिसे यह उपलिब्ध हासिल हुई हो।

हिन्दी को लेकर उनकी तमाम ‘उपलब्धियों ‘ और ‘ संघर्ष ‘ के चलते उनका नाम ‘इंडिया बुक ऑफ द  रिकॉर्डस’ एवम्  यूनाइटेड किंगडम की वेबसाइट ‘रिकॉर्ड होल्डर्स रिपब्लिक’ (R.H.R.) में दर्ज है। यूनाइटेड किंगडम ने अपनी सूची और वेबसाइट में उन्हें वर्ष 2009 में सम्मिलित किया था। अंग्रेजों की यह वेबसाइट https://www.recordholdersrepublic.co.uk/ है। ‘द सर्वे  र्ऑफ इंडिया’ ने 2015 में  जारी हिन्दी के प्रथमों में उन्हें 8वें क्रम पर स्थान दिया है।

राज्यपाल और सीएम धामी ने हिन्दी दिवस की दी शुभकामनाएं

इसी सूची में कुल 59 प्रथम भारतीय हैं। उत्तराखंड के दो मुख्यमंत्रियों के ओएसडी (न्यायिक, विधायी एवं संसदीय कार्य) व विधि आयोग में सदस्य (प्रमुख सचिव, विधायी के समकक्ष  ) रहते हुए उन्होंने नैनीताल हाईकोर्ट में हिन्दी में वाद-कार्यवाही प्रारंभ करायी है। उनके द्वारा हाईकोर्ट में अदालती- कार्यवाही हिन्दी भाषा में संपादित किए जाने का गजट-नोटिफिकेशन (राजाज्ञा)  कराये जाने के पश्चात ही नैनीताल हाईकोर्ट में 2013 में हिंदी- भाषा में दायर याचिका स्वीकार की गई।

उन्हें (Chandrashekhar Upadhyay) न्यायिक- क्षेत्र का प्रतिष्ठित  पुरस्कार ‘न्याय-मित्र’ मिल चुका है जिसे वह लौटा चुके हैं। पिछले तीन दशकों से वह सुप्रीम कोर्ट और  25 उच्च- न्यायालयों में संपूर्ण वाद-कार्यवाही हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं (संविधान की अष्टम अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाएं, जिनकी लिपि उपलब्ध है) में संपादित किए जाने और निर्णय भी पारित किए जाने हेतु ‘हिन्दी से न्याय’ इस देश व्यापी अभियान का कुशल नेतृत्व कर रहे हैं।

जानिए पहली बार कब मनाया गया था हिंदी दिवस, कैसे हुई शुरुआत

भारत के संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन की मांग को लेकर पिछले एक दशक में उन्होंने एक करोड़ नौ लाख से अधिक हस्ताक्षर देश भर से एकत्रित किए हैं, 31 राज्यों में ‘हिन्दी से न्याय’ अभियान की  संचालन-समितियां नगरों के द्वार-द्वार एवं गांव-गांव तक गई हैं। अनुच्छेद 348 में संशोधन की मांग वह अंतिम द्वार तक ले आए हैं। मामला संसद के पटल पर आ चुका है। अब केंद्र सरकार को इस पर फैसला करना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समूचे 8 वर्ष 3 माह 15 दिन में उन्हें 8 मिनट भी मिलने का समय नहीं दिया है।  अभियान के लोग लगातार उनसे समय मांग रहे हैं । वह पिछ्ले दो दशकों से केन्द्र एवं राज्य-सरकारों से समस्त हिन्दी-कर्म-काण्डों  एवम् पुरस्कारों पर रोक लगाने की मांग कर

Related Post

CM Dhami

सीएम धामी ने दिए योजनाओं का लाभ लाभार्थियों को पहुंचाने के निर्देश

Posted by - April 10, 2023 0
हरिद्वार। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) एवं हरिद्वार सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने रविवार को डामकोठी में अधिकारियों…
BJP

पश्चिम बंगाल के दो BJP सांसदों ने विधायक के पद से इस्तीफा दिया

Posted by - May 13, 2021 0
कोलकाता। हाल ही में पश्चिम बंगाल विधानसभा विधानसभा चुनाव में निर्वाचित हुए भाजपा (BJP) सांसद जगन्नाथ सरकार और नीसिथ प्रमाणिक…