नई दिल्ली।केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी है कि केंद्रीय कैबिनेट ने बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक के विलय को मंजूरी दे दी है। विलय के फलस्वरूप बनने वाली इकाई एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा।
इतना ही नहीं रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर में सुधार के तहत यह कदम उठाया गया है। बैंक ऑफ बड़ौदा को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी ऋणदाता बनाने के लिए विलय की यह योजना तैयार की गई है। मंत्री ने कहा कि इस विलय से कर्मचारियों की छंटनी नहीं होगी, क्योंकि देना और विजया बैंक के कर्मचारियों को बैंक ऑफ बड़ौदा में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। उधर ,दूसरी तरफ, बैंक ऑफ बड़ौदा ने विजया बैंक और देना बैंक का खुद के साथ विलय के लिए शेयरों की अदला-बदली अनुपात को अंतिम रूप दे दिया है। विलय की योजना के मुताबिक, विजया बैंक के शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयरों के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 इक्विटी शेयर मिलेंगे। साथ ही वहीं देना बैंक के मामले में, उसके शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयर के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 110 शेयर मिलेंगे।
गौरतलब है कि सरकार ने पिछले साल सितंबर में विजय बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विलय की घोषणा की थी। लेकिन बैंक कर्मचारी संगठनों ने इस विलय का विरोध किया है। 26 दिसंबर 2018 को 10 लाख बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे। इससे पहले 21 दिसंबर को बैंक अधिकारियों ने भी हड़ताल की थी। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने दावा किया कि विलय बैंकों या उनके ग्राहकों के हित में नहीं, बल्कि दोनों के लिए हानिकारक होगा।
अब ये तो आने वाला वक़्त ही बातयेगा की ये कितना लाभदायक है या हानिकारक।