नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों से घिरे भारत के सामने सुरक्षा के क्या खतरे मौजूद हैं। इसपर भारतीय सेना के टॉप कमांडर यानी सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने खुलकर बात की। सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने साफ कहा कि देश को साइबर खतरों से निपटने का फुलप्रूफ प्लान तैयार करने, थियेटर कमांड स्थापित करने, नागरिक और सैन्य तकनीकी प्रयास को बढ़ावा देने, आतंरिक और बाहरी खतरों से निपटने के बीच तालमेल स्थापित करने की जरूरत है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) ने उन मसलों पर बात की जो भारत की सुरक्षा के समाने चुनौती बनकर खड़े हैं।
बिपिन रावत ने यह बात विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में एक संबोधन में 7 अप्रैल को कही। रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को उन आशंकाओं को दूर कर दिया कि थलसेना, नौसेना और वायु सेना के बीच तालमेल बढ़ाने के लिए थिएटर कमान की स्थापना से एक सेना को बढ़ावा मिलेगा जिसमें अन्य दो विलीन हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह की चिंताएं ‘मिथ्या ‘ हैं।
सीडीएस ने कहा कि देश की भावी सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तीनों सेवाओं में एकीकरण और समन्वय महत्वपूर्ण है। प्रस्ताव के अनुसार, थियेटर कमान में थलसेना, नौसेना और वायु सेना की इकाइयां होंगी और एक ऑपरेशनल कमांडर के तहत विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों पर गौर करते हुए ये सभी एकल इकाई के रूप में काम करेंगी।
पिछले युद्ध के तरीकों से नहीं लड़ी जा सकती आगे की लड़ाई
बातचीत में CDS ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपना अगला युद्ध पिछले लड़े युद्धों के अनुभवों को ध्यान में रखकर, उनमें इस्तेमाल सामग्री से नहीं लड़ सकता। रावत ने कहा कि यह बेहद जरूरी है कि युद्ध के हिसाब से आज की और भविष्य की जरूरतों का ध्यान रखा जाए।
रावत ने साइबर खतरों को माना मुख्य चुनौती
CDS रावत ने खुले तौर पर इस बात को स्वीकारा है कि चीन तकनीक के मामले में भारत से आगे है और भारत में कई सारे साइबर हमले करने में सक्षम है। वह बोले कि भारत इस क्षेत्र में आगे निकलने के लिए पश्चिमी देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है। फिलहाल सेना कोई साइबर हमला होने पर नुकसान को कम से कम कैसे किया जा सके, इसपर काम कर रही है।
आतंरिक और बाहरी खतरों पर बात करते हुए जनरल रावत ने कहा कि बाहरी खतरों से निपटने के लिए सैन्य क्षमता के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की जरूरत है। वहीं , आंतरिक स्थिरता के लिए मजबूत नेतृत्व (सरकार), आर्थिक विकास, सामाजिक समरसता और सही कानूनों की व्यवस्था जरूरी है।