नई दिल्ली। रायसीना डायलॉग के तीसरे दिन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत ने आतंकवाद को लेकर अपनी राय जाहिर की। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए हमें वैसा ही रवैया अपनाना चाहिए जैसा की अमेरिका ने 9/11 के बाद किया था।
सीडीएस ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई खत्म नहीं हो रही है। यह ऐसी चीज है जो लगातार रहेगी। हमें इसके साथ तब तक रहना होगा जब तक की हम इसे समझ न जाएं और आतंकवाद की जड़ों तक न पहुंचे। उन्होंने कहा कि अगर हमें ऐसा लगता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई खत्म होने वाली है, तो हम गलत हैं।
Chief of Defence Staff (CDS) General Bipin Rawat: Any country which is sponsoring terrorism has to be taken to task. I feel one of the measures adopted is of blacklisting by Financial Action Task Force (FATF) is one good measure. Diplomatic isolation, you have to do this. pic.twitter.com/RIvXHEZTBv
— ANI (@ANI) January 16, 2020
जनरल बिपिन रावत ने कहा कि हम आतंकवाद को समाप्त कर सकते हैं। यह केवल उसी तरह हो सकता है जिस तरह से अमेरिकियों ने 9/11 के बाद शुरू किया था। उन्होंने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध करें। ऐसा करने के लिए आपको आतंकवादियों को अलग-थलग करना होगा, जो भी आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है। उसके साथ भी यही करना होगा।
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सीडीएस रावत ने आगे कहा कि जब तब आतंकवाद प्रायोजित करने वाले देश हैं। तब तक हमें इस खतरे का सामना करते रहना होगा। हमें इससे निर्णायक ढंग से निपटना होगा। वह आतंकवादियों को प्रॉक्सी के रूप में उपयोग करते हैं। उन्हें हथियार उपलब्ध कराते हैं। उन्हें फंडिंग करते हैं। ऐसे में हम आतंकवाद को नियंत्रित नहीं कर सकते।’
शांति वार्ता पर जनरल रावत ने कहा कि आपको (अफगानिस्तान में) हर किसी के साथ एक शांति समझौते पर आना होगा। उन्होंने कहा कि अगर आपको उनके साथ शांति समझौते करना है तो शांति वार्ता के लिए जाना होगा। तालिबान या जो भी संगठन आतंक के हथियार को छोड़ना चाहते हैं उन्हें राजनीतिक मुख्यधारा में आना होगा।
उन्होंने कहा कि वित्तीय कार्रवाई कार्यबल द्वारा आतंकवाद समर्थित देश को ब्लैकलिस्ट करने का कदम अच्छा है। आपको कूटनीतिक अलगाव करना होगा। सीडीएस के पद को लेकर उन्होंने कहा कि सीडीएस को स्पष्ट और अच्छी तरह से परिभाषित जिम्मेदारियां मिली हैं। उसके पास परिचालन मुद्दों को छोड़कर तीन सेवा प्रमुखों पर कुछ अधिकार हैं।