जालौन। ग्वालियर में वायुसेना के जहाज मिग-21 (MiG-21 Accident) के हादसे में जालौन का लाल कैप्टन आशीष गुप्ता (38) शहीद हो गया। चचेरी बहन रुपाली ने बताया कि अज्जू भइया हमेशा देश के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते थे। स्वभाव से काफी रिजर्व होने के कारण बोलते तो कम थे लेकिन एयरफोर्स के रोमांच और देश प्रेम की बातें करते वक्त वे हम बहनों को भी एयरफोर्स की तैयारी करने के लिए प्रेरित करते थे। कहते थे कि अब बेटियां भी एयरफोर्स में अपनी क्षमता का प्रदर्शन बखूबी कर रही हैं।
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बकौल रुपाली उसने तो भाई की बातों से प्रेरित होकर एयरफोर्स की तैयारी भी की थी लेकिन सफल नहीं हो सकी। रुपाली ने बताया कि भइया का फोन अक्सर हम पांच बहनों में से किसी न किसी के पास आया ही करता था। यह बात और है कि सर्विस की व्यस्तता के कारण वे ज्यादा समय बात नहीं करते थे, सिर्फ पापा मम्मी के साथ पूरे घर के हाल चाल पूछकर फिर से फोन करने को कहते हुए बात खत्म कर देते थे। आखिरी मर्तबा लॉकडाउन के पहले किसी दोस्त की शादी में अज्जू भाई उरई स्थित घर आए थे।
2010 में छाया से हुई थी कैप्टन की शादी
मोहल्ले के बुजुर्ग और वैश्य एकता परिषद के जिलाध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने बताया कि अज्जू उन्हें भी अपने चाचा की तरह ही मानता था। जबसे घटना के बारे में जानकारी हुई है, दिल दुखी हो गया है। विश्वास ही नहीं होता है कि वह अब हमारे बीच नहीं है। सुरेश गुप्ता ने बताया कि अज्जू की शादी 2010 में झांसी के गुरसराय के मोदी परिवार की बेटी छाया से हुई थी। हम सभी उसकी शादी में शामिल भी हुए थे।
अयोध्या प्रेम के चलते फैजाबाद में बसा परिवार
पड़ोस के बड़े बुजुर्गों ने बताया कि पिता प्रकाश की बैंक की नौकरी का लंबा वक्त फैजाबाद में ही बीता है। इस कारण प्रकाश के दोनों बेटों मनीष और आशीष की पढ़ाई भी फैजाबाद में ही हुई। आशीष की मां कांती देवी भी फैजाबाद में ही शिक्षिका थी, जिनका कुछ समय पूर्व ही देहांत हो चुका है। पिता प्रकाश का अयोध्या के राम मंदिर से काफी लगाव है, जिस कारण ही वे बैंक से सेवानिवृत्त होने के बाद भी अपने फैजाबाद के ही मकान में अकेले रह रहे हैं। यही वजह है कि बुधवार रात तक अभी किसी को यह जानकारी नहीं हो सकी कि कैप्टन का पार्थिव शरीर फैजाबाद जाएगा या फिर सरसई उनके गांव पहुंचेगा। इधर, सरसई गांव निवासी बुजुर्ग रामबाबू मिश्रा ने बताया कि सालों पहले गुप्ता परिवार अपनी जमीन बेचकर गांव से चला गया है। दो भाई उरई में और एक भाई फैजाबाद में रहता है।
टीवी सेट पर रही अपनों की निगाहें
सुबह जिस वक्त से मिग-21 के हादसे के शिकार होने और उसमें जान गंवाने वाले कैप्टन आशीष के बारे में जानकारी निकली, तभी से गुप्ता परिवार से जुड़े हर व्यक्ति की आंखे टीवी सेट पर ही लगी रही कि कहीं से कोई और पुख्ता जानकारी मिल सके। टीवी के अलावा परिवार के कई लोग मोबाइल पर भी घटना के बारे में जानकारी करते नजर आए।
देर शाम तक नहीं पहुंचे नेता, अफसर
भले ही आशीष के परिजनों और मोहल्ले वालों को हादसे की जानकारी सुबह सवा ग्यारह से लेकर दोपहर 12 बजे तक हो गई थी लेकिन पुलिस प्रशासन के किसी भी अधिकारी और किसी भी जनप्रतिनिधि व नेता ने कैप्टन के घर पहुंचने की जरूरत महसूस नहीं की। इससे भी इलाकाई लोगों में नाराजगी रही।