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पांच साल में रिलायंस इंडस्ट्रीज का पूंजीकरण 5.6 लाख करोड़ रुपये बढ़ा

mukesh ambani

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मुंबई। मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा पूंजी बनाई है। वहीं भारत में रहने वाले संपन्न वर्ग के लोगों की औसत पूंजी प्रत्याशा महज 3.6 करोड़ रुपये है। निवेश और बचत में इस्तेमाल की जाने वाली इस राशि से सेवानिवृत्ति के समय उन्हें 93 हजार रुपये प्रति महीने मिलेंगे।

मोतीलाल ओसवाल एनुअल वेल्थ क्रिएशन स्टडी-2019

मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पिछले पांच वर्षों में कंपनी का पूंजीकरण 5.6 लाख करोड़ रुपये बढ़ा है। मोतीलाल ओसवाल एनुअल वेल्थ क्रिएशन स्टडी-2019 के अनुसार, 2014-19 के दौरान टॉप-100 वेल्थ क्रिएटर्स ने कुल 49 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जोड़ी है। बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, आरआईएल और इंडियाबुल्स वेंचर्स व इंडसइंड बैंक ने सबसे ज्यादा, सबसे तेज और स्थिर तरीके से पूंजी सृजन किया है। हालांकि, इस दौरान सरकारी कंपनियों की पूंजी में मामूली इजाफा हुआ और महज नौ सरकारी कंपनियों ने नई पूंजी जोड़ी।

वहीं वोडाफोन आइडिया, टाटा मोटर्स, ओएनजीसी, आर-कॉम, अडानी एंटरप्राइजेज, रिलायंस पावर और सन फार्मा की पूंजी में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली है।

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पूंजी प्रत्याशा में हुई बढ़ोत्तरी

ब्रिटेन की वित्तीय सेवा कंपनी स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है कि मालिकाना आर्थिक मॉडल को आधार बनाया गया है, जिसमें जीडीपी वृद्धि और ब्याज दर जैसे कारक भी शामिल हैं। इससे यह पता लगाने की कोशिश की गई है कि 60 वर्ष की उम्र तक कितनी पूंजी एकत्र किए जाने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, उभरते समृद्ध वर्ग में 1.3 करोड़, समृद्ध वर्ग में 3.6 करोड़ और उच्च आय वर्ग वालों में 6.9 करोड़ रुपये की औसत पूंजी प्रत्याशा है।

पूंजी के साथ समृद्ध वर्ग को महज 93 हजार रुपये प्रति महीने मिलेंगे, जो उनकी मौजूदा आय और पूंजी प्रत्याशा से काफी कम

इस पूंजी के साथ समृद्ध वर्ग को महज 93 हजार रुपये प्रति महीने मिलेंगे, जो उनकी मौजूदा आय और पूंजी प्रत्याशा से काफी कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक तिहाई यानी करीब 32 फीसदी लोग 60 साल की उम्र तक अपना आधा लक्ष्य पाने की राह पर हैं। हालांकि, 68 फीसदी लोग अपने तय लक्ष्यों से काफी पीछे चल रहे हैं। इससे लक्ष्य के बेहतर प्रबंधन और निवेश के तरीकों से इस अंतर में कमी आने की भी संभावना है। ऐसे लोगों को तत्काल इस दिशा में कदम उठाने होंगे।

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