आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले हुए मोदी कैबिनेट के पहले बड़े विस्तार में राज्य से 7 लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। खास बात यह है कि चुनावी समीकरण को ध्यान में रखते हुए ओबीसी और दलित नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। लेकिन निषाद पार्टी के हाथ कुछ नहीं लगा है, निषाद पार्टी नाराज है, पार्टी संस्थापक संजय निषाद ने अपने बेटे के लिए मंत्रिमंडल में जगह मांगी थी।
बेटे और सांसद प्रवीण निषाद को जगह न मिलने पर संजय ने सरकार से पूछा- अपना दल की अनुप्रिया पटेल को शामिल किया जा सकता है तो प्रवीण को क्यों नहीं? संजय निषाद ने तंज कसते हुए कहा कि दगाबाज सरकारों का दर्द दिल में है, दिल मुश्किल में है। निषादों की अनदेखी होती रही तो अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करेंगे।
संजय निषाद ने कहा कि प्रवीण निषाद को कैबिनेट में शामिल नहीं किया जाना निषाद समाज के साथ धोखा है, 18 फ़ीसदी निषाद समाज को एक बार फिर धोखा मिला है जबकि 4 से 5 फीस दी वालों को तरजीह दी गई है| संजय निषाद के बेटे प्रवीण संत कबीर नगर से सांसद हैं. प्रवीण ने 2017 में हुए गोरखपुर उपचुनाव में सपा उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी| अनुप्रिया पटेल पर निशाना साधते हुए निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा, ‘जो लोग अपनी सीट जिला पंचायत अध्यक्ष में नहीं जितवा सके, जिन लोगों ने बीजेपी को हराने का काम किया वैसे लोगों को तवज्जो दी गई जबकि निषाद समाज ने एकमुश्त वोट देकर यूपी में और केंद्र में बीजेपी की सरकार बनाई है|’
संजय निषाद ने कहा कि फिलहाल वह बीजेपी के साथ हैं, लेकिन अगर बीजेपी ऐसे ही निषादों की अनदेखी करती रही तो आने वाले वक्त में वह अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करेंगे और बीजेपी से गठबंधन को लेकर सोचने को मजबूर होंगे|