होली (Holi) का त्यौहार सबसे खास होता है और इस दिन के लिए कई तरह के ज्योतिषीय उपाय किए जाते हैं। आप सभी को बता दें कि होलिका दहन (Holika Dahan) , धुलेंडी या रंग पंचमी के दिन कुछ साथ सामग्रियां खरीदने का प्रचलन है।
जी हाँ और इन्हें खरीदने से घर-परिवार में सुख, शांति, धन समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा भाग्य का भी चमका हुआ रहता है। आज हम आपको बताते हैं 5 प्रमुख सामग्रियों के बारे में।
रंग : होली पर रंगों का बहुत महत्व होता है। ऐसे में रंग खरीदना चाहिए। आपको बता दें कि रंगों वाली होली खेलने के लिए और रंगोली बनाने के लिए दोनों लेना चाहिए। ऐसा करने से घर-परिवार में मंगल रहता है।
गेहूं की बाली : होली के दौरान गेंहूं की फसल पक जाती है। इसी वजह से गांवों में होली के अवसर पर फसल और पशु पूजा होती है। वहीं होलिका पूजन के लिए गेहूं की बाली की आवश्यकता होती है, जिसे होला भी कहते हैं। ऐसे में नए अनाज को होली की अग्नि में अर्पित करने की परंपरा है। नई फसल को सबसे पहले अग्नि के माध्यम से देवताओं को अर्पित करते हैं।
खील बताशे : माता लक्ष्मी को बताशे प्रिय है। जी हाँ और इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आपको समृद्धि का आशीष देती हैं। ऐसे में इसे खरीदने से आपको हर कार्य में अपार सफलता भी मिलेगी और इसे होलिका दहन के दिन आग में डालने से जीवन की हर बाधा स्वाहा हो जाती है।
गोबर के कंडे : होलिका दहन के लिए गोबर के कंडे लगते हैं जो होली के डांडा के आसपास जमाएं जाते हैं। केवल यही नहीं बल्कि इसी के साथ सात कंडों के बीच में छेद करके उसमें सूत या मूंज का धागा पिरोकर उसे होली में सजाया जाता है जिसे भरभोलिया कहते हैं। कहते हैं होलिका दहन के पहले इसे भाइयों के उपर से वार कर होली की अग्नि में जराने से भाई के उपर आया संकट हटा जाता है। गांवों कंडे भी जमा करके रखे जाते हैं।
होलिका की चुनर : होलिका दहन के लिए जब होली के दो डांडे को सजाया जाता है तब उसे चुनर भी ओढ़ाई जाती है। दो डांडा में से एक डांडा होलिका का प्रतीक है तो दूसरा प्रहलाद का।