Site icon News Ganj

महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर ब्रह्मा कुमारीज ने सजाई झांकी

महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि

लखनऊ। महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर गुरुवार को ब्रह्मा कुमारीज द्वारा झांकी सजाई गई, जिसमें परमपिता परमात्मा का सच्चा परिचय दिया जा रहा है। उनको जानकर हम उनसे कैसे जुड़ सकें? इसका रास्ता ऑडियो वीडियो तथा आत्मा परमात्मा तथा सृष्टि चक्र का ज्ञान चित्रों के माध्यम से दिया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश सरकार में गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने दीप प्रज्वलन एवं फीता काट के झांकी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बाबा के संदेशवाहक पत्र के गुब्बारे व पैराशूट छोड़े गए। चारों ओर परमात्मा अनुभूति का एक मस्ती भरा माहौल छा गया। इस अवसर पर कुमारी श्रेया ने जो शिव से लगन लगाए वह परमानंद को पाए’ परमनमोहक नृत्य भी प्रस्तुत किया ।

कलियुग की घोर रात्रि में आकर वे सतयुगी दुनिया की स्थापना का महान कर्तव्य करते हैं शिव

प्रश्न उठता है कि सभी महान विभूतियों का जन्म दिवस या जयंती मनाई जाती है, लेकिन शिवरात्रि क्यों? इसे स्पष्ट करते हुए ब्रम्हाकुमारी की गोमतीनगर सेंटर इंचार्ज राधा बहन ने बताया कि शिव का शारीरिक जन्म नहीं होता, बल्कि उनका अवतरण विकारों की कालिमा रूपीरात्रि में अज्ञान-निद्रा में सोए मनुष्यों को जगाने के लिए होता है। कलियुग की घोर रात्रि में आकर वे सतयुगी दुनिया की स्थापना का महान कर्तव्य करते हैं। शिव और शंकर में अंतर बताते हुए कहा कि शिव ज्योति-स्वरूप, निराकार, स्वयंभू हैं। शिव का अर्थ है कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है चिन्ह।

प्रियंका बनर्जी की शॉर्ट फिल्म ‘देवी’ का फर्स्ट लुक पोस्टर जारी, टीजर 24 फरवरी को 

कल्याणकारी परमात्मा की साकार रूप में पूजा करने के लिए शिवलिंग का निर्माण किया

इसीलिए कल्याणकारी परमात्मा की साकार रूप में पूजा करने के लिए शिवलिंग का निर्माण किया गया। हम शिवालय और शिवलिंग शब्दों का प्रयोग करते हैं,शंकरालय या शंकर लिंग शब्दों का नहीं। क्योंकि शंकर का आकार है, वे देवता हैं, उनकी रचना परमात्मा ने आसुरी शक्तियों के संहार के लिए की है। इसी प्रकार शिवलिंग पर जल,बेलपत्र, धतूरा चढ़ाने का आध्यात्मिक रहस्य समझाते हुए कहा कि अक-धतूरा चढ़ाने से तात्पर्य है। अपने मन की कमजोरियों और विकारों को परमात्मा को समर्पित कर देना। जल प्रतीक है ज्ञान का।

तीन पत्तों वाला बेलपत्र प्रतीक है त्रिमूर्ति शिव की तीन रचनाओं; ब्रह्मा, विष्णु और शंकर का

परमात्मा द्वारा दिए गए ज्ञान से अपनी बुद्धि रूपी गागर को भरना ही जल चढ़ाना है और तीन पत्तों वाला बेलपत्र प्रतीक है त्रिमूर्ति शिव की तीन रचनाओं; ब्रह्मा, विष्णु और शंकर का। परमात्मा; ब्रह्मा द्वारा नई दुनिया की स्थापना, विष्णु द्वारा पालना तथा शंकर द्वारा संहार का कार्य कराते हैं।

Exit mobile version