हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम शरीर में प्रवेश करने वाले किसी भी बाहरी तत्व के खिलाफ लड़ता है। लेकिन कई बार यह गलती से शरीर की अपनी कोशिकाओं पर भी हमला कर देता है, इस स्थिति को ऑटोइम्यून डिजीज कहा जाता है।
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जब हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम हमारी स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर देता है तो इसे ऑटोइम्यून डिजीज कहा जाता है। किसी भी वायरस, बैक्टीरिया हमले से हमें बचाने के लिए हमारा इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी बनाता है। जब शरीर में इम्यून सिस्टम की कमी आती है तब यह लक्षण देखने को मिल सकते है।
- जोड़ों में दर्द और सूजन
- थकावट
- बुखार
- चकत्ते
- बेचैनी
ऑटोइम्यून बीमारियों के लक्षण भी सभी लोगों में एक समान उम्र में नहीं दिखते। यह लक्षण बचपन में ही दिख सकते हैं, जवानी या फिर बुढ़ापे की ओर बढ़ती उम्र में नजर आ सकते हैं।
ऑटोइम्यून बीमारियों में आनुवंशिकता अहम भूमिका निभाती है। अगर आपके परिवार में किसी को भी किसी तरह की ऑटोइम्यून बीमारी है तो आपको भी इस तरह का कोई रोग हो सकता है। हालांकि, आनुवंशिक कारकों के साथ ही कुछ पर्यावरणीय कारण भी इसमें भूमिका निभा सकते हैं।
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पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा अधिक होता है। इसकी वजह उनमें मौजूद क्रोमोसोम हैं। सेक्स हार्मोन में होने वाले बड़े बदलाव जैसे गर्भावस्था और मैनोपॉज की वजह से भी ऑटोइम्यून बीमारियां हो सकती हैं।
ऑटोइम्यून बीमारी की पहचान आसान नहीं होती है। आपमें ऑटोइम्यून बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानेंगे, फिजिकल एग्जामिनेशन करेंगे और खून में ऑटोएंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट भी करेंगे।
ऑटोइम्यून बीमारियों का कोई भी इलाज उपलब्ध नहीं है। डॉक्टर आपको जीवनशैली में बदलाव के साथ ही लक्षणों के आधार पर कुछ दवाएं दे सकते हैं।