लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आयुष्मान भारत ( Ayushman Bharat Yojana) प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना गरीब मरीजों का सहारा बन रही है। इस योजना के तहत प्रदेश में अब तक 15.18 लाख मरीजों ने निःशुल्क इलाज प्राप्त किया है। इन मरीजों के इलाज में सरकार ने कुल 1743.3 करोड़ की धनराशि खर्च की। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के बाहर अन्य राज्यों में भी प्रदेश के लाभार्थियों के इलाज पर 296 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। अस्पतालों के 91 प्रतिशत क्लेम का भुगतान भी हो चुका है।
स्टेट एजेंसी फार कांप्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीस) की सीईओ संगीता सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में इस योजना के तहत अब तक 2.16 करोड़ लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड जारी किये जा चुके हैं। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश के 3,156 चिकित्सालयों को सूचीबद्ध किया गया है। इनमें 1,111 सरकारी चिकित्सालय और 2,045 निजी अस्पताल शामिल हैं। इस योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड धारक पांच लाख रुपये तक निःशुल्क इलाज करा सकते हैं।
आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ( Ayushman Bharat Yojana) का शुभारम्भ 23 सितम्बर, 2018 को किया गया था। इस योजना में सूचीबद्ध परिवार को पांच लाख रुपये तक की निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इलाज पर होने वाले खर्च का 60 प्रतिशत केंद्र और 40 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार वहन करती है।
मरीजों का सहारा बना आयुष्मान कार्ड ( Ayushman Card)
आयुष्मान भारत योजना ( Ayushman Bharat Yojana) के लाभार्थियों ने इस योजना की खुले मन से सराहना की। सीतापुर की रहने वाली लक्ष्मी देवी का आठ महीने पहले कूल्हा फ्रैक्चर हो गया था। वह लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल आईं और उनका कूल्हा प्रत्यारोपण आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत मुफ्त में हो गया। सारा खर्च सरकार ने वहन किया। वह अब ठीक हैं और खुद से चल पा रहीं हैं।
लक्ष्मी ही की तरह बहराइच के नसीब अहमद का भी कूल्हा प्रत्यारोपण बलरामपुर अस्पताल में हुआ। नसीब का तो गोल्डन कार्ड भी नहीं बना था। वह फ्रैक्चर की हालत में बलरामपुर अस्पताल आए थे। यहीं उनका गोल्डन कार्ड बना और यहीं कूल्हा प्रत्यारोपण भी हुआ।
लखनऊ की बटलर पैलेस कालोनी निवासी सुधा आर्या के पैर में फ्रैक्चर हो गया था। लखनऊ के सिविल अस्पताल में उनका आपरेशन हुआ। सुधा की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उनके इलाज के सारे खर्च का भुगतान आयुष्मान कार्ड से हुआ।
लखनऊ की हुसैनगंज निवासी आरती गुप्ता को डेंगू हो गया था। लखनऊ के डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में उनके परिजनों ने भर्ती कराया। उनके इलाज में आयुष्मान कार्ड उनका सहारा बना।
डॉ. एसपीएम सिविल अस्पताल में नौ सौ मरीजों का उपचार
लखनऊ के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आर.पी. सिंह ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि आयुष्मान कार्ड से अब तक सिविल अस्पताल में करीब नौ सौ मरीजों का उपचार किया गया है।
उप्र के बड़े अस्पताल भी आयुष्मान योजना ( Ayushman Bharat Yojana) के दायरे में
इस योजना के तहत केजीएमयू, पीजीआई व डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट जैसे उच्चस्तरीय चिकित्सा संस्थानों को सूचीबद्ध किया गया है। उत्तर प्रदेश के निवासी राष्ट्रीय स्तर पर एम्स नई दिल्ली, टाटा मेमोरियल हास्पिटल मुम्बई एवं पीजीआई चंडीगढ़ जैसे उच्चस्तरीय चिकित्सालयों में भी बड़ी संख्या में गम्भीर बीमारियों का इलाज करा रहे हैं। इसके अलावा कारपोरेट स्तर के ख्याति प्राप्त चिकित्सालयों जैसे- सहारा हॉस्पिटल, अपोलो मेडिक्स, चरक हॉस्पिटल, लखनऊ कैंसर इन्स्टीट्यूट, हेरिटेज इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एवं अन्य को सूचीबद्ध किया जा चुका है। इन चिकित्सालयों में भी मरीज अपना इलाज निःशुल्क करा रहे हैं।
जन आरोग्य योजना के अंतर्गत नई पैकेज दरें लागू
उत्तर प्रदेश में आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत नई पैकेज दरें 15 सितंबर, 2022 से लागू हो गयी हैं। पुरानी पैकेज लिस्ट में अंग प्रत्यारोपण संबंधी गंभीर बीमारियों के शामिल न होने से इन बीमारियों से ग्रसित मरीजों का उपचार नहीं हो पा रहा था। नई पैकेज दरों के लागू हो जाने से इन बीमारियों से ग्रसित लाभार्थियों का उपचार हो रहा है।
उप्र की 35 प्रतिशत आबादी आयुष्मान योजना से हो रही कवर
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थसारथी सेन ने बताया कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। उत्तर प्रदेश की करीब 35 प्रतिशत (लगभग 7.66 करोड़) आबादी आयुष्मान भारत योजना से कवर हो रही है। इसके तहत सामान्य चिकित्सा, सामान्य सर्जरी, आर्थोपेडिक, कैंसर, किडनी, फेफड़े, मूत्र विज्ञान, नेत्र, यकृत, न्यूरोलॉजी आदि की 25 गंभीर समस्याओं के उपचार के लिए पांच लाख रुपये तक की वार्षिक मदद का प्रावधान है। मां या शिशु देखभाल सेवा का लाभ लेने के लिए कोई भी आयुष्मान कार्ड धारक किसी भी सार्वजनिक या सूचीबद्ध निजी अस्पताल में संपर्क कर सकता है। प्रदेश में पहले जहां हर बड़ी बीमारी का उपचार राजधानी या अन्य बड़े शहरों में ही होता था वहीं अब कई बड़े ऑपरेशन एवं इलाज जनपद या मंडल स्तर के अस्पतालों में हो रहे हैं। इसमें आयुष्यमान योजना का काफी योगदान है।