कानून समाचार पोर्टल ‘द लीफलेट’ और पत्रकार निखिल वागले द्वारा दायर की गई याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें आंशिक अंतरिम राहत दी है। पोर्टल ने मोदी सरकार द्वारा पारित नए आईटी कानून के नियम 9 और 16 से राहत देने की मांग की थी जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर ली। कोर्ट ने नियम 9 को याचिकाकर्ता के अधिकारों पर अतिक्रमण बताया, कहा यह आईटी अधिनियम के मूल कानून से परे है।
चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता एवं गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा- जहां तक नियम 14 की बात है वो अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है। बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने कानून को मनमाना और अवैध तथा नेट न्यूट्रलिटी के खिलाफ बताते हुए कोर्ट से इसपर रोक की गुहार लगाई थी।
याचिकाएं आईटी नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देती हैं, जिसमें विशेष रूप से नियमों के भाग III को चुनौती दी गई है, जो डिजिटल मीडिया प्रकाशनों को विनियमित करना चाहता है। याचिकाओं का तर्क है, नियमों का भाग III आईटी अधिनियम (जिसके तहत नियमों को फ्रेम किया गया है) द्वारा निर्धारित अधिकार क्षेत्र से परे है और यह संविधान के विपरीत भी है।
कई व्यक्तियों और संगठनों- जिनमें द वायर, द न्यूज मिनट की धन्या राजेंद्रन, द वायर के एमके वेणु, द क्विंट, प्रतिध्वनि और लाइव लॉ अपने-अपने राज्यों में विशेष रूप से महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली और तमिलनाडु के उच्च न्यायालयों का रुख कर चुके हैं।
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पत्रकार निखिल वागले और वेबसाइट द लीफलेट ने नियमों को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है। कन्नड समाचार आउटलेट प्रतिध्वनि ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। भारत की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) ने भी नियमों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है।