नई दिल्ली। बीजेपी प्रवक्ता व राज्यसभा सदस्य जीवीएल नरसिम्हा राव ने जेएनयू में फीस बढ़ोत्तरी को ‘तर्कसंगत’ करार दिया है। नरसिम्हा राव ने कहा कि इस फैसले का विरोध वहीं लोग कर रहे हैं, जिन्हें नर्सरी के बच्चों की एक लाख रुपये सालाना फीस देने में दिक्कत नहीं है, लेकिन उच्च शिक्षा के लिये 50 हजार रुपये फीस देने में कठिनाई हो रही है।
जेएनयू प्रदर्शन राजनीति से प्रेरित- नरसिम्हा राव
राव ने जेएनयू में फीस बढ़ोत्तरी के मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामे के कारण सदन की बैठक दोपहर दो बजे तक स्थगित किये जाने के बाद संसद भवन परिसर में कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस मामले के सभी पहलुओं पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया है। इसके पहले जेएनयू के कुलपति और जेएनयू प्रशासन ने भी छात्रों से चर्चा करने की सहमति जतायी थी, लेकिन छात्रों ने कल कानून का उल्लंघन कर जिस तरह से हिंसक विरोध प्रदर्शन किया। उससे लोगों के मन में शंका पैदा हुई कि यह राजनीति से प्रेरित था।
संसद की कार्यवाही बाधित करना देश की जनता के साथ अन्याय
उन्होंने दलील दी कि आज के समय में दस या बीस रुपये में महीने भर का किराया देकर रहने की मांग करना समझ से परे है। राव ने सवाल किया कि क्या समय के अनुसार फीस का निर्धारण करना समय की मांग नहीं है? जो लोग दिल्ली में नर्सरी की पढ़ाई के लिये अपने बच्चों की एक लाख रुपये सालाना फीस भरते हैं, क्या ऐसे लोगों के लिये भी दस और बीस रुपये फीस देने की मांग करना जायज है? क्या ऐसे लोग उच्च शिक्षा के लिये 50 हजार रुपये फीस नहीं दे सकते हैं?
नींद न आने पर स्मृति ईरानी का पोस्ट- ‘प्लीज आप सब मेरे सपने देखना बंद करो’
राव ने कहा कि इस तरह की मांग के नाम पर संसद की कार्यवाही बाधित करना देश की जनता के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में वंचित वर्ग के बच्चों को प्राथमिकता देने की सरकार की नीति है। राव ने कहा कि यह चर्चा का विषय है, सरकार किसी पर कुछ थोप नहीं रही है, छात्रों और सभी पक्षों को चर्चा करना चाहिये।
उल्लेखनीय है कि जेएनयू में फीस बढ़ोत्तरी के फैसले का विरोध कर रहे छात्रों ने सोमवार को संसद मार्च करने की पहल की थी, लेकिन छात्रों को जेएनयू परिसर के बाहर कुछ ही दूरी पर पुलिस को बलपूर्वक रोकना पड़ा।