एक महिला कॉलेज के सेक्शन ऑफिसर पद से रिटायर हुए शख्स को निचले पद का वेतनमान देने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पड़ी की। हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए नाराजगी जाहिर की और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव पर 20 हजार का जुर्माना लगाया। जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने कहा- भारत के संविधान में परिभाषित कोई संस्था बिना दिमाग के काम नहीं कर सकती और राज्य ने अपनी गलतियों को सुधारने के बजाय शर्मनाक तरीके से उसका बचाव किया।
याचिका समस्तीपुर महिला कॉलेज से रिटायर सेक्शन ऑफिसर रामनवल शर्मा द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने अपने लिए सही वेतनमान और उसके आधार पर बकाया रकम के भुगतान की मांग की थी। रामनवल ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के तहत आनेवाले समस्तीपुर महिला कॉलेज के रोकड़पाल पद से साल 2011 में सेवानिवृत्त हुए थे।
इसके पहले भी राज्य में हुई कोरोनासे मौत के मामलोंमें राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। राज्य के PRS के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मई 2019 में, बिहार में लगभग 1.3 लाख मौतें हुई थीं, जबकि 2021 में इसी अवधि के लिए यह आंकड़ा लगभग 2.2 लाख था। लगभग 82,500 मौतों का अंतर दर्ज किया गया।
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इसमें से आधे से ज्यादा 62 फीसदी की बढ़ोतरी इस साल मई में दर्ज की गई थी। बिहार में कोरोना की दूसरी लहर में मरने वालों की संख्या को नीतीश कुमार सरकार ने अब तक सार्वजनिक नहीं किया है, जिस पर पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि बिहार सरकार द्वारा राज्य में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या को सार्वजनिक करने की इच्छा न होना अनुचित है।