कानपुर के चर्चित बिकरू कांड की न्यायिक जांच पूरी हो गई है। आयोग की जांच में भी कानपुर के तत्कालीन DIG अनंतदेव समेत 12 डिप्टी एसपी दोषी पाए गए हैं। इसमें अनंतदेव ने ये भी कबूल कर लिया है कि वे विकास दुबे के खजांची जय बाजपेई को जानते थे। आरोप है कि जय बाजपेई ने ही विकास तक रुपए और असलहा पहुंचाने में मदद की थी। हालांकि, अनंतदेव ने विकास दुबे से सीधे पहचान होने से इंकार कर दिया। उधर, बिकरू कांड में 34 आरोपियों पर पुलिस ने गैंगस्टर की कार्रवाई की है। अब इन सभी संपत्ति जब्त की जाएगी। एडीजी जोन ने सभी आरोपियों की संपत्ति की डिटेल जुटाने के लिए 10 दिन का वक्त दिया है।
आयोग ने एसआईटी उस रिपोर्ट को भी अपनी जांच रिपोर्ट में शामिल किया है, जिसमें एसआईटी ने पुलिसिंग को लेकर बदलाव करने केसुझाव दिये थे। कि किसी तरह से पुलिसिंग की जरूरत है। जिससे अपराधी भय में रहे और इस तरह की हिमाकत न करें। आयोग की जांच से पता चला है कि विकास दुबे पर दर्ज केसों में से 21 केसों की फाइलें गायब हैं। इसमें से 11 फाइलें शिवली थाने की हैं। चार कल्याणपुर, पांच चौबेपुर और एक बिल्हौर की फाइल शामिल हैं। गायब फाइलों में विकास दुबे पर 1991 में दर्ज किये गए पहले केस की भी फाइल शामिल है।
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इनमें डीएसपी सूक्ष्म प्रकाश, आरके चतुर्वेदी, करुणाशंकर राय, पासपोर्ट नोडल अफसर अमित कुमार, नंदलाल प्रताप, हरेंद्र कुमार यादव, सुंदरलाल, प्रेम प्रकाश, राम प्रकाश, सुभाष चंद्र और लक्ष्मी निवास शामिल हैं। आयोग ने इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की संतुति की है। आयोग ने पाया है कि बिकरू कांड के पीछे इनकी लापरवाही व मिलीभगत रही है। विकास दुबे को शरण देने और उस पर नरमी बरतने में पुलिस ने कोई कसर नहीं छोड़ी। इसलिए इन सभी को दोषी ठहराया है।