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भाजपा से नाराज चिराग ने कहा- पिता ने हमेशा साथ दिया लेकिन मुश्किल वक्त में साथ न मिला

लोक जनशक्ति पार्टी में टूट के बाद मीडिया से बात करते हुए चिराग पासवान भाजपा पर बिफर पड़े और नाराजगी जताई। चिराग ने कहा- मेरे पिता रामविलास पासवान बीजेपी के साथ चट्टान की तरह खड़े रहे थे लेकिन मुश्किल के समय में मुझे उनका साथ न मिला। चिराग ने कहा- बीजेपी से रिश्ते अब एकतरफा नहीं रख सकते, अगर मुझे घेरने की कोशिश जारी रही है तो मैं सभी संभावनाओं पर विचार करूंगा।

उन्होंने कहा- PM पर विश्वास कायम है लेकिन अगर घेरा जाता है, धकेला जाता है और मजबूर किया जाता है तो पार्टी सभी संभावनाओं पर विचार करेगी। उन्होंने साफ कहा कि एलजेपी को अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर इस आधार पर फैसला लेना होगा कि कौन उसके साथ खड़ा है और कौन नहीं।

लोजपा में दो गूट होने के बाद सांसद चिराग पासवान ने ट्वीट के माध्यम से जारी चिट्ठी में कहा कि जदयू ने लोजपा को तोड़ने की कोशिश की है। इतना ही नहीं जब पिता बीमार थे तो राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक फोन करके हाल पूछते थे, लेकिन नीतीश का यह कहना कि उन्हें रामविलास के खराब स्वास्थ्य की जानकारी नहीं है, उनका अहंकार दर्शाता है।

चिराग ने कहा कि नीतीश ने राज्यसभा नामांकन के लिए मदद मांगने तक को हमें मजबूर किया। इस बात से ताज्जुब होता है कि कैसे पार्टी से निष्कासित सांसद ऐसे व्यक्ति के साथ खड़े हो सकते हैं जिन्होंने रामविलास को ही नहीं बल्कि बिहार की जनता को धोखा दिया। नीतीश यह बर्दाश्त नहीं कर सकते कि कोई दलित राजनीति में आगे बढ़े।

उन्होंने कहा कि जदयू ने हमेशा लोजपा को तोड़ने की कोशिश की। चिराग ने कहा कि संघर्ष के दिनों में नीतीश कुमार ने मुझे और मेरे पिता को अपमानित किया। लेकिन, रामविलास कभी नहीं झुके। लोकसभा चुनाव के दौरान लोजपा के छह सांसदों को हराने में जदयू ने कोई कसर नहीं छोड़ी। चिराग ने कहा कि अगर पशुपति कहते तो मैं उनका नाम मंत्री बनने के लिए लोजपा की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष रखता। चिराग ने कहा कि अगर पशुपति कहते तो मैं उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समक्ष रखता। लेकिन चाचा ने मुझे धोखा दिया। भाई और पार्टी के अन्य सांसदों ने मेरी पीठ में खंजर घोपने का काम किया है।

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