शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के पावन पर्व की शुरुआत आज शनिवार 2 अप्रैल से हो गई है, नवरात्रि के 9 दिन क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस चैत्र नवरात्रि मां शैलपुत्री (Maa Shailputri) की पूजा आज 2 अप्रैल को की जाएगी। मां शैलपुत्री की उपासना (Worship) करने से व्यक्ति को धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है।
मार्केण्डय पुराण के अनुसार, पर्वतराज यानि शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। इसके साथ ही मां शैलपुत्री का वाहन बैल होने के कारण इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। मां शैलपुत्री के रूप के बारे में बताएं तो इनके दो हाथों में से दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल सुशोभित है।
कहा जाता हैं कि आज के दिन माता शैलपुत्री की पूजा करने और उनके मंत्र का जप करने से व्यक्ति का मूलाधार चक्र जाग्रत होता है। अतः माता शैलपुत्री का मंत्र
इस मंत्र का करें जाप
वन्दे वाञ्छित लाभाय चन्द्र अर्धकृत शेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
इस प्रकार माता शैलपुत्री (Maa Shailputri) के मंत्र का कम से कम 11 बार जप करने से आपका मूलाधार चक्र तो जाग्रत होगा ही, साथ ही आपके धन-धान्य, ऐश्वर्य और सौभाग्य में वृद्धि होगी और आपको आरोग्य तथा मोक्ष की प्राप्ति भी होगी।
मां शैलपुत्री (Maa Shailputri) की पूजा विधि
शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री (Maa Shailputri) की उपासना की जायेगी। मां शैलपुत्री की उपासना करने से व्यक्ति को धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। आज के दिन इन सब चीज़ों का लाभ उठाने के लिये देवी मां के इस मंत्र से उनकी उपासना करनी चाहिए। मंत्र है- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।’