दो गुटों में बटी लोक जनशक्ति पार्टी की लड़ाई परिवार, पार्टी के बाद अब चुनाव आयोग तक पहुंच गई। चाचा पशुपति पारस और भतीजा चिराग पासवान दोनों पार्टी का असली नेता होने का दावा कर रहे हैं। दोनों नेता पार्टी के झंडा बैनर पर अपना-अपना वर्चस्व जमा रहे हैं। वहीं चिराग पासवान अपने पिता रामविलास पासवान द्वारा बनाई पार्टी पर कब्जा जमाने और चाचा पशुपति पारस की सियासी रणनीति को तोड़ने के लिए दिल्ली में बैठक की।
बैठक के बाद लोजपा के पूर्व अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि कार्यकारिणी बैठक में अधिकांश सदस्य मौजूद थे। बैठक में सभी लोगों ने पशुपति पारस और उनके गुट के द्वारा पार्टी का नाम और सिंबल इस्तेमाल करने की कड़ी आलोचना की और विरोध किया।
मीडिया से बातचीत करते हुए चिराग पासवान ने कहा कि बैठक में दिवंगत नेता रामविलास पासवान को भारत रत्न देने और बिहार में उनकी बड़ी प्रतिमा बनाने की मांग भी की गई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चिराग पासवान 5 जुलाई को पिता और लोजपा के संस्थापक अध्यक्ष राम विलास पासवान के जन्मदिन पर संघर्ष यात्रा निकाल सकते हैं।
इससे पहले शनिवार को चिराग पासवान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिलकर अपना पक्ष रखे। हालांकि, ओम बिरला पिछले हफ्ते ही पशुपति पारस को लोकसभा मे जन शक्ति पार्टी के नेता के तौर पर मान्यता दे चुके हैं। चिराग पासवान ने इसपर भी नाराजगी जाहिर की । चिराग ने कहा कि स्पीकर ओम बिड़ला को हमारी पार्टी का संविधान देखना चाहिए उसके बाद विचार करना चाहिए।