कोरोना संकट के बीच बड़ी संख्या में नदी के किनारे दफनाए गए शव अब चिंता का विषय बन गए हैं, गंगा का जलस्तर बढ़ते ही शव पानी में तैरने लगे। कुछ दिन पहले लोगों ने प्रयागराज के विभिन्न घाटो पर तैरते क्षत विक्षत शव का वीडियो बना लिया सोशल मीडिया पर पोस्ट करते ही हंगामा मच गया।
वायरल वीडियो में कुछ शव ऐसे थे जिनके हाथों में सर्जिकल दस्ताने थे मतलब ये कि वह शव एक दो दिन पहले ही दफनाए गए थे, एक शव के मुंह में ऑक्सीजन ट्यूब लगी थी।
प्रयागराज राज की मेयर अभिलाषा गुप्ता ने कहा जो शव ऊपर आ गए हैं उनका हम फिर से अंतिम संस्कार करवा रहे हैं, किसी तरह से कोई दिक्कत नहीं होगी। गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने शव को गंगा किनारे ही दफना दिया था सरकार ने जिसे परपंरा बताकर पल्ला झाड़ लिया था।
नदी से बाहर निकाले गए शवों में से एक के हात में सर्जिकल दस्ताने थे और एक शव के मुंह पर अभी भी ऑक्सीजन ट्यूब लगी हुई थी। इलाहाबाद नगर निगम के जोनल अधिकारी नीरज कुमार सिंह ने कहा कि जिस शव के मुंह पर ऑक्सीजन ट्यूब लगी है, संभवतः वह बीमार था और मृत्यु के बाद परिवार शव को यहां छोड़कर चला गया। सभी शव डिकम्पोज नहीं हुए हैं और कुछ शवों की स्थिति बताती है कि इन्हें हाल फिलहाल में ही यहां दफनाया गया है।
इलाहाबाद की मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी ने कहा, ‘हमें जहां भी शव मिल रहे हैं, हम उन शवों का अंतिम संस्कार करा रहे हैं।’ बता दें कि मई में ऐसी कई रिपोर्टें सामने आई थीं, जिनमें कहा गया कि उत्तर प्रदेश और बिहार में विभिन्न स्थानों पर गंगा नदी में बड़ी संख्या में शव तैरते पाए गए। ये मौतें कोरोना की दूसरी लहर के चरम पर होने के दौरान हुई थी।
हालांकि राज्य सरकार ने इनकार किया था कि ये शव कोरोना मरीजों के नहीं हैं। राज्य सरकार ने दावा किया था कि राज्य में कुछ समुदायों में शवों को नदियों के किनारे दफ्न करने की परंपरा रही है। राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय मीडिया में सामने आई गंगा घाटों की तस्वीरों के सामने आने के बाद राज्य सरकार ने आलोचनाओं से बचने के लिए इलाहाबाद में शवों से भगवा रंग के कपड़ों को उतरवा दिया था।