असम। असम की सर्वदानंद सोनोवाल सरकार ने राज्य में बाल विवाह रोकने के लिए एक नई और बड़ी योजना बनाई है। इस योजना के तहत शादी के समय दुल्हन को एक तोला सोना मुफ्त दिया जाएगा। असम सरकार का कहना है कि इससे बाल विवाह में कमी आएगी।
अरुंधति योजना के तहत प्रति वर्ष 800 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना
असम के वित्त मंत्री हिमंता विस्वा सरमा ने बताया कि असम सरकार अरुंधति योजना के तहत प्रति वर्ष 800 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रही है, जिसमें असम की हर दुल्हन को एक तोला सोना मुफ्त दिया जाएगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य बाल विवाह को कम करना है। विवाह के लिए पंजीकरण कराकर ही इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस स्कीम को हरी झंडी दिखाई और एक तोला सोना (करीब 11.66 ग्राम) दुल्हन के माता-पिता को मुफ्त में देने की घोषणा
गुवाहाटी में खुद मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस स्कीम को हरी झंडी दिखाई और एक तोला सोना (करीब 11.66 ग्राम) दुल्हन के माता-पिता को मुफ्त में देने की घोषणा की। हालांकि, इस स्कीम के अंदर वही परिवार आएंगे जो आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं। बता दें कि यह स्कीम राज्य बजट में पहले से ही प्रस्तावित थी।
अरुंधति योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में बाल विवाह की संख्या को कम करना
वैसे तो बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत अरुंधति योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में बाल विवाह की संख्या को कम करना है। बाल विवाह निषेध अधिनियम के अनुसार भारत में किसी भी लड़की की शादी 18 साल की उम्र से पहले नहीं हो सकती। वहीं लड़के की शादी 21 साल से पहले नहीं कराई जा सकती। यह कानूनन अपराध है। इस वजह से अरुंधति योजना का लाभ, औपचारिक पंजीकरण के जरिए असम के विशेष विवाह नियम 1954 के तहत लिया जा सकता है।
विश्व की टॉप 6 तेल उत्पादक कंपनियों के क्लब में रिलायंस इंडस्ट्रीज की इंट्री
सरकार ने सभी कार्यालयों में सैनिटरी नैपकिन रखे जाने का फैसला
इस योजना का लाभ किसी भी जाति, पंथ, धर्म आदि से अलग वही परिवार ले सकते हैं जिनकी वार्षिक आय 5 लाख से कम है। वहीं इस स्कीम के साथ साथ सरकार ने सभी कार्यालयों और उद्योगों में अनिवार्य रूप से सैनिटरी नैपकिन रखे जाने का भी फैसला लिया है। ये फैसला कार्यस्थल पर महिलाओं में व्यक्तिगत साफ-सफाई को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है। महिला कर्मचारियों की सुविधा और हाईजीन को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ये नियम लागू किया है।
हर कार्यालय के टॉयलेट में महिलाओं के इस्तेमाल के लिए सैनिटरी नैपकिन या पैड रखना अनिवार्य होगा
इससे महिलाओं को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने में भी आसानी होगी। इसके तहत हर कार्यालय के टॉयलेट में महिलाओं के इस्तेमाल के लिए सैनिटरी नैपकिन या पैड रखना अनिवार्य होगा। कंपनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि टॉयलेट में पैड की संख्या बरकरार रखी जाए और इसकी कमी न हो पाए। इसके साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि सभी महिला टॉयलेट्स में डिस्पोजेबल डस्टबिन भी रखें जाएं, जिससे नैपकिन्स को कलेक्ट किया जा सके। कंपनी को यूज्ड नैपकिन्स के निपटान की भी उचित व्यवस्था करनी होगी।