नई दिल्ली। दर्द निवारक दवा एस्प्रिन (Aspirin ) ब्रेस्ट से लेकर ब्लैडर कैंसर तक के इलाज में रामबाण साबित हो सकती है। यह खुलासा हाल ही में हुई एक स्टडी से हुआ है। स्टडी में दावा किया गया है कि एस्प्रिन के हर दूसरे दिन इस्तेमाल करने से ब्रेस्ट और ब्लैडर कैंसर से मरने वाले लोगों की संख्या को तीन गुना तक कम किया जा सकता है।
इस स्टडी को अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने पूरा किया है। बता दें कि एस्प्रिन (Aspirin ) का उपयोग दुनियाभर में करोड़ों लोग हार्ट अटैक से बचने के लिए करते हैं। यह रिसर्च कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे अमेरिका के 1,40,000 पुरुषों और महिलाओं पर किया गया था, जिसमें अधिकतर 65 साल से ज्यादा उम्र के लोग शामिल थे। उन्हें 13 सालों तक ट्रैक किया गया था।
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स्टडी में शामिल डॉ. होली लुमंस क्रॉप ने बताया है कि हमने अलग-अलग मरीजों पर सर्वे किया, इसका सबसे ज्यादा सकारात्मक असर ब्रेस्ट और ब्लैडर कैंसर के मरीजों पर देखने को मिला है। हालांकि, शोधकर्ताओं ने एस्प्रिन के सेवन को लेकर खुराक की मात्रा संबंधी बातों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन यूके में 75Mg तक ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
शोधकर्ताओं ने स्क्रिनिंग में शामिल लोगों का हवाला देते हुए कहा कि इस रिसर्च के आधार पर हम कह सकते हैं कि ब्रेस्ट या ब्लैडर के कैंसर वाले मरीज यदि सप्ताह में कम से कम 3 बार एस्प्रिन लेते हैं, तो दूसरी दवा लेने वालों की तुलना में उनकी मौत की संभावना एक चौथाई तक कम हो सकती है। इतना ही नहीं, यह दवा ब्लैडर कैंसर की वजह से पेट के अंदर होने वाले सूजन को भी कम करने में सक्षम है। साथ ही यह भी कहा कि इस दवा से हृदय रोग, स्ट्रोक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर और अन्य कई प्रकार की बीमारी से होने वाली मौत के जोखिम को कम किया जा सकता है।
इन रोगों में कारगर नहीं है एस्प्रिन (Aspirin )
रिसर्च में एस्प्रिन को लेकर कई और खुलासे हुए है। शोधकर्ताओं ने कहा कि एस्प्रिन के सेवन से यह बात भी स्पष्ट हुई है कि चार अन्य रोग जैसे गललेट, पेट, अग्नाशय या गर्भ कैंसर आदि के इलाज या जोखिम रोकने में एस्प्रिन कारगर नहीं है। उन्होंने बताया कि एस्प्रिन का उपयोग करके कैंसर से बचाव तो हो सकता है, लेकिन लंबे समय तक इसके फायदे और नुकसान पर भी विचार करना जरूरी है। उन्होंने चेताया है कि दवा का ज्यादा सेवन पेट में परेशानी पैदा कर सकता है। यह स्टडी जामा नेटवर्क ओमन में भी प्रकाशित हुई है।