बिजनेस डेस्क। इस साल 2020 के एक फरवरी को आम बजट पेश हुआ हैं। जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की सदस्य आशिमा गोयल ने निराशाजनक और दूरदर्शिता की कमी वाला बजट बताया है। यह बात उन्होंने तब कही जब वह इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट रिसर्च के एक कार्यक्रम में थी।
कार्यक्रम के दौरान गोयल ने बजट के लक्ष्यों का मुद्दा उठाया और कहा कि सब्सिडी के मॉडल पर फिर से विचार करने की जरूरत बताई। खाद्य सब्सिडी पर जोर देते हुए उन्होंने बताया कि लोगों के उपभोग की आदतें बदल चुकी हैं।
साथ ही ईएसी-पीएम की अंशकालिक सदस्य गोयल ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट भाषण में ‘स्लोडाउन’ शब्द का प्रयोग नहीं किया जाना चौंकाने वाला है।
आर्थिक सुस्ती से निपटने के उपायों पर कोई चर्चा नहीं
उन्होंने कहा कि यह विकास के लिए राजस्व प्रोत्साहन और खर्च के लिए जिम्मेदारी के बीच संतुलन स्थापित करने वाला दस्तावेज है। लोग आर्थिक सुस्ती को लेकर चिंतित हैं। भारत कि वृद्धि दर पांच फीसदी के निचले स्तर पर है। तब भी बजट 2020 के दौरान आर्थिक सुस्ती से निपटने के उपायों को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई।
इस करना बताया निराशाजनक बजट
उनके अनुसार, राजकोषीय घाटे को लेकर ढील और आयकर को सरल बनाने संबंधी सुधार बेहतर हैं। लेकिन तब भी दूरदर्शिता के अभाव के कारण बजट निराशाजनक है। गोयल ने कहा कि बजट पेश करते वक्त वित्त मंत्री ऐसी विरोधाभासी स्थिति में थीं जहां किसी न किसी को तो नाखुश होना ही था।
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बजट के सकारात्मक पक्ष पर चर्चा
वहीं बजट के सकारात्मक पक्ष पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री अपने फैसलों के चलते संतुलन स्थापित करने में कामयाब रही हैं। राजकोषीय घाटे के मामले में 0.5 फीसदी की ढील वाले प्रावधान के चलते संसाधनों में महत्वपूर्ण वृद्धि की संभावना है।
साथ ही उन्होंने साल 2008-09 की मंदी के दौरान अर्थव्यवस्था के लिए उठाए गए कदमों को इस बार के बजट में शामिल नहीं किए जाने के फैसले की भी तारीफ की। 2008-09 में राजकोषीय घाटा चार फीसदी से ऊपर था और वृद्धि दर के लिए ब्याज दरें निचले स्तर तक कम कर दी गईं थी।