तवांग (अरुणाचल प्रदेश)। भारतीय थल सेना ने अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ऊंचे पर्वतों पर उन्नत एल-70 विमान रोधी तोपें तैनात की हैं। वहां सेना की एम-777 होवित्जर और स्वीडिश बोफोर्स तोपें पहले से तैनात हैं। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एम-77 अत्यधिक हल्के होवित्जर तोप तैनात किए जाने के कुछ महीनों बाद यह तैनाती की गई है, जिसका लक्ष्य पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद चीन के आक्रामक रुख का सामना करने के लिए गोले बरसाने की संपूर्ण शक्ति में इजाफा करना है। अधिकारियों ने बताया कि उन्नत एल-70 तोपें किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सेना के अभियानगत तैयारियों को मजबूत करने के वास्ते उठाए गए कदमों की श्रृंखला के तहत करीब दो महीने पहले तैनात की गई थी.
बता दें कि भारत और चीन के बीच पिछले साल मई के महीने से सीमा पर विवाद चल रहा है। दोनों देशों के बीच अब तक 13 दौर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि, यह विवाद पूरी तरह से हल नहीं हुआ है। बातचीत के साथ-साथ चीन ने भारत से लगी सीमा में सेना की तैनाती बढ़ाई है। ऐसे में भारत भी रक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है।
2 महीने पहले हुई तैनाती
सेना से जुड़े सूत्रों ने बताया कि L-70 एंटी-एयरक्राफ्ट गन को दो महीने पहले तैनात किया गया था। इसे तैनात करने का मकसद पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद चीन के आक्रामक रुख के मद्देनजर भारतीय सेना की समग्र मारक क्षमता को बढ़ाना है। साथ ही आपात स्थिति में भारतीय सेना को कोई परेशानी ना हो।
पूर्वी सेक्टर में भारतीय सेना ने पहले ही बड़ी संख्या में बोफोर्स और होवित्जर तोपों की तैनाती कर रखी है। इन्हें भारत की फायर पावर की रीढ़ माना जाता है। इतना ही नहीं सेना ने चीन संग विवाद के बाद से तैयारियां और तेज कर दी हैं। एकीकृत बचाव वाले इलाकों में सेना की टुकड़ियां दैनिक आधार पर सैन्य अभ्यास और फिजिकल ट्रेनिंग कर रही हैं।
सेना का एयर डिफेंस हुआ मजबूत
सैन्य अधिकारियों ने कहा कि एंटी-एयरक्राफ्ट गन को अरुणाचल प्रदेश में कई प्रमुख स्थानों के अलावा पूरे LAC के साथ अन्य संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया गया। इनके शामिल होने से सेना का एयर डिफेंस मैकेनिज्म मजबूत हुआ।
आर्मी एयर डिफेंस की कैप्टन एस अब्बासी ने कहा, ये तोपें सभी मानवरहित वायु यान, मानवरहित लड़ाकू यान, हमलावर हलीकॉप्टर और आधुनिक विमान को गिरा सकती हैं। ये तोपें सभी मौसम में काम कर सकती हैं। इनमें दिन-रात काम करने वाले टीवी कैमरे, एक थर्मल इमेजिंग कैमरा और एक लेजर रेंज फाइंडर भी लगे हुए हैं। उन्होंने कहा, तोप के गोला दागने की सटीकता बढ़ाने के लिए एक मजल वेलोसिटी रेडार भी लगाया गया है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि उन्नत तोप प्रणाली, जो एक उच्च तकनीक वाली इजराइली रडार के साथ संचालित होती है, को इस श्रेणी में उपलब्ध वायु रक्षा तोपों में सर्वश्रेष्ठ गिना जा सकता है। सेना ने पिछले कुछ महीनों में बड़ी संख्या में एम-777 अत्यधिक हल्के होवित्जर तोपें तैनात की हैं। इसकी अधिकतम रेंज 30 किमी है।
एक अधिकारी ने बताया कि उन्नत एल70 वायु रक्षा तोपों को मौजूदा बोफोर्स तोपों और हाल में शामिल एम-777 होवित्जर के साथ तैनात किए जाने से सेना की संपूर्ण अभियान क्षमता बढ़ी है। एल70 तोपों को मूल रूप से स्वीडिश रक्षा कंपनी बोफोर्स एबी ने 1950 के दशक में निर्मित किया था और भारत ने 1960 के दशक से शामिल करना शुरू किया। इस तोप को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने उन्नत किया है।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में तनाव बढ़ने के बाद सेना ने चीन से लगे पूर्वी क्षेत्र में अपनी अभियानगत क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। अधिकारियों ने बताया कि लड़ाकू क्षमता को बढ़ाना एक शाश्वत प्रक्रिया है और यह अभियानगत जरूरतों के अनुरूप तथा संपूर्ण सुरक्षा स्थिति के अनुसार की जाएगी।
लक्ष्य पर सटीक निशाना साधने में सक्षम
यह किसी भी मौसम में लक्ष्य पर सटीक निशाना साधने में सक्षम है। साथ ही टारगेट के जगह बदलने पर गन भी अपना निशाना खुद ही साध लेती है। ये गन टीवी कैमरा, थर्मल इमेजिंग कैमरा और लेजर रेंज फाइंडर से लैस है। सटीक निशाना लगाने के लिए इनमें मजल वेलोसिटी रडार भी लगा है। गन में फायर कंट्रोल रडार के साथ एकीकृत होने की क्षमता है, इसके चलते इसे कहीं भी आसानी से तैनात किया जा सकता है।
पहले है तैनात है M-777 होवित्जर तोपें
सेना ने कुछ महीने पहले ही M-777 होवित्जर तोपें तैनात की थीं। इन्हें जरूरत के मुताबिक, कभी भी चिनूक हेलिकॉप्टर्स से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है। M-777 आर्टिलरी गन की अधिकतम रेंज 30 किमी है और बीएई सिस्टम्स द्वारा बनाई गई है। सेना को 2018 में यह मिली थी। बोफोर्स घोटाले के बाद से नई आर्टिलरी गन के लिए 30 साल के इंतजार के बाद सेना को ये तोपें मिली थीं।