नई दिल्ली। भारतीय सशस्त्र बल बहुत अनुशासित है। इसके साथ ही सेना मानवाधिकार कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के लिए अत्यंत सम्मान का भाव रखती है। इंडियन आर्म्ड फोर्सेज का लोकाचार इंसानियत और शराफत है। वह बेहद धर्मनिरपेक्ष हैं। यह बात थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में कही।
Chief of the Army Staff General Bipin Rawat: The driving ethos of the Indian armed forces is “Insaniyat”( Humanity) and “Sharafat”( Decency). They are extremely secular. The challenge is the changing war fare tactics with the advent of technology. https://t.co/zpqlnIVrb5
— ANI (@ANI) December 27, 2019
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत अक्सर अपने बयानों से रहते हैं सुर्खियों में
बता दें कि सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत अक्सर अपने बयानों से सुर्खियों में रहते हैं। बता दें कि जनरल बिपिन रावत संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर गुरुवार को टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि यदि नेता हमारे शहरों में आगजनी और हिंसा के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेज के छात्रों सहित जनता को उकसाते हैं, तो यह नेतृत्व नहीं है।
सेना प्रमुख ने कहा था कि नेता जनता के बीच से उभरते हैं। नेता ऐसे नहीं होते जो भीड़ को अनुचित दिशा में ले जाएं। उन्होंने कहा था कि नेता वह होते हैं, जो लोगों को सही दिशा में ले जाते हैं। उनके इस बयान पर विपक्षी नेताओं ने उनकी जमकर आलोचना की और उनके बयान को राजनीति से प्रेरित बताया।