नई दिल्ली। ओडिशा के माओवाद प्रभावित मलकानगिरि जिले की एक आदिवासी लड़की ने सालों पहले आकाश में उड़ने का सपना देखा। उसे पूरा करने के लिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़ दी। आखिरकार अपने सपनों को हासिल करके ही दम लिया।
यह कहानी है 23 वर्षीय अनुप्रिया लाकड़ा की है। ओडिशा की अनुप्रिया पहली आदिवासी महिला पायलट बन गई हैं। पायलट बनने की चाह में अनुप्रिया ने सात साल पहले इंजीनिरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़ दी। बता दें कि 2012 में उन्होंने यहां उड्डयन अकादमी में दाखिला ले लिया है। अपनी काबिलियत और लगन के बल पर जल्दी ही वह एक निजी विमानन कंपनी में को-पायलट के तौर पर सेवाएं देने वाली है।
अनुप्रिया के पिता मारिनियास लाकड़ा ओडिशा पुलिस में हवलदार हैं और मां जामज यास्मिन लाकड़ा गृहणी हैं। उन्होंने दसवीं की पढ़ाई कांन्वेंट स्कूल से तथा 12वीं की पढ़ाई सेमिलिदुगा के एक स्कूल से की।
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उनके पिता ने बताया कि पायलट बनने की चाह में उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और पायलट प्रवेश परीक्षा की तैयारी भुवनेश्वर से की। उन्होंने बताया कि 2012 में अनुप्रिया ने भुवनेश्वर में पायलट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया। पायलट बनने का उसका सपना हकीकत में बदलने से हम बहुत खुश हैं।
वह एक निजी विमानन कंपनी में को-पायलट के तौर पर सेवाएं देने वाली है। अनुप्रिया के गौरवान्वित पिता ने कहा कि मलकानगिरि जैसे पिछड़े जिले से ताल्लुक रखने वाले किसी व्यक्ति के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। वहीं उनकी मां ने कहा कि मैं बहुत प्रसन्न हूं। यह मलकानगिरि के लोगों के लिए गर्व की बात है। उसकी सफलता दूसरी लड़कियों को प्रेरणा देगी।