नई दिल्ली। निर्भया केस में दुष्कर्म व हत्या मामले के गुनाहगार पवन का एक और पैंतरा गुरुवार को उस वक्त नाकाम हो गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने उसके नाबालिग होने के दावे को ठुकरा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने चैंबर में सर्कुलेशन के जरिए यह कहते हुए पवन की क्यूरेटिव पिटीशन ख़ारिज कर दी
सुप्रीम कोर्ट ने चैंबर में सर्कुलेशन के जरिए यह कहते हुए पवन की क्यूरेटिव पिटीशन ख़ारिज कर दी। इसके साथ ही कहा है कि इसमें कोई नया आधार नजर नहीं आ रहा है। इसलिए मृत्यदंड पर रोक की अर्जी ख़ारिज की जाती है। बता दें कि पवन ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक और क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि वारदात के समय वह नाबालिग था इसलिए उसकी फांसी की सजा ख़ारिज की जाए।
लखनऊ विश्वविद्यालय का “LUCHEM” नाम का हैण्ड सैनिटाइज़र COVID-19 को देगा मात
पवन की नाबालिग होने की दलील को सुप्रीम कोर्ट पहले ही कर चुका है ख़ारिज
यह याचिका पवन ने सुप्रीम कोर्ट में उसकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर की थी। इस कयूरेटिव याचिका ख़ारिज होना तय था क्योंकि पवन की नाबालिग होने की दलील को सुप्रीम कोर्ट पहले ही ख़ारिज कर चुका है। यह याचिका जजों ने अपने चेंबर में सुनी थी, जिसमें किसी तरफ़ का वकील जिरह के लिए मौजूद नहीं होता है। जज अपने पुराने फैसले के संदर्भ में यह देखते हैं कि दोषी कोई बहुत अहम क़ानूनी पहलू तो नहीं ले आया है। जो कि कोर्ट में पहले जजों के सामने न रखा गया हो। इस मामले में सभी दोषी अपनी अपनी दलीलों को कई कई बार कोर्ट में रख चुके हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ख़ारिज कर चुका है। ट्रायल कोर्ट ने चारों दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए 20 मार्च की सुबह का डेथ वारंट जारी किया हुआ है।