नई दिल्ली। अमेरिका में एक भारतीय महिला 218 साल बाद इतिहास रचने जा रही है। सेकंड लेफ्टिनेंट अनमोल नारंग वेस्ट प्वाइंट स्थित अमेरिकी सैन्य अकादमी से स्नातक पहली सिख महिला बनकर आज शाम इतिहास रचेंगी। बता दें कि नारंग का जन्म अमेरिका में हुआ है। जॉर्जिया के रोजवेल में नारंग की परवरिश हुई।
नारंग ने जॉर्जिया प्रौद्योगिकी संस्थान से स्नातक की पढ़ाई की। उसके बाद वेस्ट प्वाइंट गईं, जहां वह परमाणु इंजीनियरिंग में भारतीय समयानुसार आज देर शाम (अमेरिकी समय के अनुसार शनिवार सुबह) को स्नातक की डिग्री हासिल करेंगी।
सिख अमेरिकियों को यह दिखा रही हूं कि किसी के लिए भी करियर में कोई भी रास्ता चुनना मुमकिन है
न्यूयॉर्क स्थित एक एनजीओ ‘सिख कोलिशन’ के तरफ से जारी विज्ञप्ति में नारंग ने कहा, ‘मैं बहुत उत्साहित हूं कि वेस्ट प्वाइंट से स्नातक करने का मेरा ख्वाब पूरा होगा। यह मेरे लिए गर्व की बात है। जॉर्जिया में मेरे समुदाय ने मुझमें जो भरोसा दिखाया और मुझे जो सहयोग दिया, वह मेरे लिए बहुत मायने रखता है। मैं अभिभूत हूं कि इस लक्ष्य तक पहुंचकर मैं अन्य सिख अमेरिकियों को यह दिखा रही हूं कि किसी के लिए भी करियर में कोई भी रास्ता चुनना मुमकिन है। अधिकारियों ने बताया कि नारंग ओकलाहोमा में बेसिक ऑफिसर लीडरशिप कोर्स पूरा करेंगी और इसके बाद उन्हें जनवरी में जापान के ओकीनावा में पहली तैनाती के लिए भेजा जाएगा।
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अमेरिकी सेना के इतिहास में 218 साल बाद ऐसा मौका
अमेरिका जैसे खुले विचारों वाले देश में 218 साल बाद ऐसा होने जा रहा है। अमेरिकी सेना के इतिहास में 218 साल बाद ऐसा होने जा रहा है, जब कोई गैर-अमेरिकन महिला को इतना बड़ा पद मिला है। बीते लगभग 200 सालों में ऐसा देखने को नहीं मिला है। रिपोर्ट के अनुसार अनमोल नारंग ने अमेरिकी सेना के ऐतिहासिक बैरिकेडिंग को तोड़ दी है।
न्यूयॉर्क टाइम्स रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी सेना में 1925 के बाद रंगभेद का प्रभाव बढ़ गया था। सेना के अधिकतर अधिकारी रैंक का पद एक विशेष वर्ग को जाने लगा, जिसके कारण निचले स्तर पर भी उसी वर्ग का वर्चस्व बढ़ता गया। ऐसा लगभग एक सदी से चलता आ रहा है।
अनमोल नारंग की रगों में है एक सैनिक खून
बता दें कि अनमोल नारंग की रगों में एक सैनिक खून है। उनके दादाजी भारतीय सेना में जवान थे। इसलिए नारंग भी बचपन से ही दादाजी से प्रेरित थी। अनमोल ने दादाजी से प्रेरणा लेकर ही सैन्य क्षेत्र में कदम रखा। अनमोल ने बताया कि ये एक सपने का पूरा होने जैसा है। यह भी बहुत कम देखने को मिला है, जब किसी भारतीय सैनिक की संतान अमेरिकी सेना में किसी बड़े पद पर पहुंची हो।