संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि असम और ओडिशा के किसानों का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को जंतर मंतर पर ‘किसान संसद’ में शामिल हुआ था। खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे एसकेएम ने बताया कि आंध्र प्रदेश किसान संघ और तमिलनाडु से अखिल भारतीय किसान सभा के सदस्य भी जल्द शामिल होंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि, किसान संसद ने केंद्र सरकार द्वारा किसानों को बिजली संशोधन विधेयक पेश नहीं करने के अपने स्पष्ट वादे से पलटने पर निराशा व्यक्त की।
जिस समय देश की संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है, उस समय आंदोलनरत संगठनों द्वारा ‘किसान संसद’ का आयोजन किया जा रहा है। बता दें कि, किसान संसद के हिस्से के रूप में, 200 किसान हर दिन यहां जंतर मंतर पर कृषि समुदाय से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए इकट्ठा होते हैं।
संसद के आठवें दिन, किसानों ने पिछले साल पेश किए गए बिजली संशोधन विधेयक पर अपना विचार-विमर्श जारी रखा। एसकेएम ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने विरोध कर रहे किसानों को औपचारिक वार्ता के दौरान आश्वासन दिया था कि वह बिजली संशोधन विधेयक को वापस ले लेगी. इसके बावजूद विधेयक को संसद के मॉनसून सत्र में पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
4 साल से डॉ. कफील निलंबित क्यों?- इलाहाबाद हाईकोर्ट का योगी सरकार से सवाल
एसकेएम ने कहा, ‘‘किसान संसद ने केंद्र सरकार द्वारा किसानों को बिजली संशोधन विधेयक पेश नहीं करने के अपने स्पष्ट वादे से पलटने पर निराशा व्यक्त की और मांग की कि इसे तुरंत वापस लिया जाए। एसकेएम ने विधेयक को ‘‘किसान विरोधी’’ और ‘कॉर्पोरेट हितैषी’’ बताया. किसान पिछले साल नवंबर से ही दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। ‘किसान संसद’ के लिए हर दिन 200 किसान जंतर मंतर पर इकट्ठा होते हैं।