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इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने दी योगी सरकार को राहत, आरक्षण संबंधी याचिका खारिज

UP Panchayat elections

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लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव (Panchayat Elections)  को अधिसूचना जारी हो जाने के कारण चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। हाईकोर्ट में गोरखपुर में पूरे जिले में अनुसूचित जनजाति का एक भी व्यक्ति न होने के बावजूद ग्राम पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) में ग्राम प्रधान की सीट अनुसूचित जन जाति के लिए आरक्षित करने के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी। इस पर न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
  • अनुसूचित जनजाति का एक भी व्यक्ति न होने के संबंध में थी याचिका
  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया

कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की तरफ से आपत्ति की गई कि पंचायत चुनाव की अधिसूचना राज्य चुनाव आयोग ने जारी कर दी है।संस्थान के अनुच्छेद 243 ओ के अनुसार चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोर्ट को चुनाव मे हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। इसलिए याचिका पोषणीय न होने के कारण खारिज की जाए।जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम। सी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशरी की खंडपीठ ने गोरखपुर के परमात्मा नायक और दो अन्य की याचिका पर दिया है।

मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर विशेष न्यायालय बैठी और आज शुक्रवार दो अप्रैल को अवकाश के दिन याचिका की सुनवाई हुई। राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडेय, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता संजय कुमार सिंह और स्थायी अधिवक्ता देवेश विक्रम ने बहस की।

याचिका में कहा गया था कि गोरखपुर जिले में कोई भी अनुसूचित जन जाति का व्यक्ति नहीं है।इसके बावजूद सरकार ने 26 मार्च 21 को जारी आरक्षण सूची मे चवारियां बुजुर्ग, चवरियां खुर्द व महावर कोल ग्राम सभा सीट को आरक्षित घोषित कर दिया। उपबंधो का खुला उल्लंघन।रक्षण के रिकार्ड तलब कर इसे रद्द किया जाए और चुनावियों को चुनाव लड़ने की छूट दी जाए।मुख्य स्थायी अधिवक्ता की याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।

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