मुंबई। महाराष्ट्र में 80 घंटे के अंदर उप मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने वाले अजित पवार ने एक बार फिर अपनी ट्विटर प्रोफाइल बदल ली है। उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ घंटे बाद यह बदलाव किया है।
इस बदलाव के तहत उन्होंने अब पूर्व उपमुख्यमंत्री महाराष्ट्र, एनसीपी नेता कर लिया है। हालांकि उपमुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करने के एक दिन बाद अपनी ट्विटर प्रोफाइल में बदलाव किया था। इसके साथ ही कहा था कि बीजेपी-एनसीपी गठबंधन अगले पांच साल तक सूबे को स्थिर सरकार देगी। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा है कि वे एनसीपी में हैं और हमेशा एनसीपी में ही रहेंगे और शरद पवार साहब हमारे नेता हैं। अजित पवार कुछ देर से ताबड़तोड़ ट्वीट कर रहे हैं। कुछ ही देर पहले उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा था कि वे महाराष्ट्र में स्थायी सरकार देंगे।
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महाराष्ट्र में चल रहे सियासी ड्रामे के बीच एक बड़ा खबर सामने आ रही है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया है। वहीं माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी दोपहर 3.30 बजे इस्तीफा दे सकते हैं। 3.30 बजे मुख्यमंत्री फडणवीस मीडिया को संबोधित कर सकते हैं।
इससे पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार और उप मुख्यमंत्री अजित पवार की मुलाकात हुई है। सूत्रों ने बताया कि इस दौरान अजित पवार से शरद पवार ने कहा कि माफ कर दिया अब वापस आ जाओ। इतना ही नहीं शरद पवार ने अजित पर तल्ख होते हुए कहा कि इस्तीफा दो या कल विधानसभा से बाहर रहो।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंगलवार सुबह एनसीपी नेताओं से मुलाकात की थी। जिसमें प्रफुल्ल पटेल, सुप्रिया सुले जैसे नेता शामिल रहे। उसके बाद अजित पवार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आवास पर पहुंचे। देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात करने के बाद अजित पवार अपने भाई श्रीनिवास पवार के घर पहुंचे थे। इस दौरान जब अजित पवार से इस्तीफे को लेकर पत्रकारों ने सवाल किया गया तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि उनका पीछा नहीं करें।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा में बुधवार को शक्ति परीक्षण कराने के उच्चतम न्यायालय के आदेश की मंगलवार को प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक सिद्धांतों को बरकरार रखने के लिए वह शीर्ष अदालत के आभारी हैं। उन्होंने कहा कि यह सुखद है कि यह फैसला उस वक्त आया जब देश ‘संविधान दिवस’ मना रहा है। साथ ही उन्होंने इस फैसले को संविधान के निर्माता डॉक्टर बी.आर आंबेडकर को श्रद्धांजलि बताया।