कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच पिछले सात महीनों से तनातनी जारी है। दोनों पक्ष अपने शर्तों के साथ अड़े हुए हैं। इस बीच संयुक्त किसान मोर्चे के वरिष्ठ पदाधिकारी अविक साहा ने कहा कि किसान ‘अराजनीतिक’ रह कर सरकार को इसका जवाब देंगे। उन्होंने कहा- भाजपा और इसके प्रधानमंत्री को यह नहीं समझ आ रहा है कि ‘जनता’ के लिए नेता होता है या ‘नेता’ के लिए जनता।
साहा ने कहा- किसानों ने मिलकर जिस तरह से पश्चिम बंगाल चुनाव में अपनी जिम्मेदारी निभाई थी, अब वैसे ही यूपी और उत्तराखंड में निभाएगा। उन्होंने कहा की पीएम यह न समझे की आंदोलन हार गया क्योंकी किसन अब घर-घर जाकर लोगों को भाजपा की असलियत बताएंगे।
संयुक्त किसान मोर्चे के वरिष्ठ पदाधिकारी अविक साहा ने शनिवार सुबह ‘किसान आंदोलन’ की रणनीति पर अमर उजाला डॉट कॉम के साथ विस्तृत बातचीत की है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार और भाजपा, आंदोलन को शुरू होने के पहले ही दिन से इसे तोड़ने का प्रयास कर रही है। किसानों को बदनाम करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दिया। आंदोलन में शामिल किसान संगठनों में फूट डालने का प्रयास किया गया।
एक सवाल के जवाब में साहा ने कहा, अगर संगठन के किसी पदाधिकारी की तरफ से कोई अलग बयान आता है, तो उससे विचलित न हों। कोई किसान नेता चुनाव लड़ने की बात कह देता है। यह एक संगठन का विचार है। किसान संगठनों से मिलकर ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ बना है। सभी अंतिम निर्णय मोर्चे द्वारा ही लिए जाते हैं। टीकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर, शाहजहांपुर बॉर्डर और यूपी बॉर्डर पर चल रहा किसानों का आंदोलन ‘संयुक्त किसान मोर्चे’ के नेतृत्व में चल रहा है।