तालिबान व अमेरिका में समझौता

तालिबान व अमेरिका में समझौता, 14 महीने में अफगानिस्तान से वापस होगी पूरी सेना

716 0

नई दिल्ली। अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर शनिवार को मुहर लग गई है। इस समझौते के बाद अमेरिका का लक्ष्य होगा कि वह 14 महीने के अंदर अफगानिस्तान से सभी बलों को वापस बुला ले। यह समझौता कतर के दोहा में हुआ है। दोनों पक्षों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इस कार्यक्रम का साक्षी बनने के लिए दुनियाभर के 30 देशों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया, इनमें भारत भी शामिल है।

तालिबानी प्रतिनिधिमंडल की मुल्ला बिरादर कर रहा है अगुवाई 

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ का कतर के अधिकारियों ने स्वागत किया है। उनके साथ अमेरिका के मुख्य वार्ताकार ज़लमय खलीलजाद भी मौजूद थे। यह समझौता पोम्पिओ की मौजूदगी में हुआ। तालिबानी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई मुल्ला बिरादर कर रहा है।

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि हम तालिबान पर करीबी नजर रखेंगे कि क्या वह अपनी बातों पर टिका रह पाता है?

दोहा पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि हम तालिबान पर करीबी नजर रखेंगे कि क्या वह अपनी बातों पर टिका रह पाता है? हम ये सुनिश्चित करेंगे कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का ठिकाना न बने। कतर में भारत के दूत पी कुमारन भारत की तरफ से दोहा में यूएसए-तालिबान शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह पहला मौका है जब भारत तालिबान से जुड़े किसी मामले में आधिकारिक तौर पर शामिल हुआ है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ समझौते पर हस्ताक्षर करने के गवाह बने।

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ समझौते पर हस्ताक्षर करने के गवाह बने

अमेरिका और तालिबान के बीच ऐतिहासिक समझौते से पहले अधिकारियों से मिलने के लिए नाटो प्रमुख जेन्स स्टोल्टनबर्ग शनिवार को अफगानिस्तान पहुंचे। नाटो ने एक बयान में बताया कि स्टोल्टनबर्ग अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ शनिवार शाम काबुल मीडिया सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसमें अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर भी मौजूद होंगे। स्टोल्टनबर्ग देश में अमेरिका और नाटो बलों के प्रमुख जनरल स्कॉट मिलर से भी मुलाकात करेंगे।

श्रृंगला ने अशरफ गनी को पीएम मोदी का पत्र सौंपा

अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर से एक दिन पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला शुक्रवार को काबुल पहुंचे और शांतिपूर्ण एवं स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत का खुला समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी से भेंट की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र सौंपा। श्रृंगला ने अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला, निर्वाचित उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब और कार्यकारी विदेश मंत्री हारून चखानसूरी से मुलाकात की तथा उन्हें अफगानिस्तान के सर्वांगीण विकास के प्रति भारत की मजबूत प्रतिबद्धता से अवगत कराया।

अफगानिस्तान की राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखंडता, लोकतंत्र, बहुलवाद और उसकी समृद्धि एवं बाहरी प्रायोजित आतंकवाद के खात्मे में भारत उसके साथ खड़ा

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने अपने ट्वीट में कहा कि अफगानिस्तान की राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखंडता, लोकतंत्र, बहुलवाद और उसकी समृद्धि एवं बाहरी प्रायोजित आतंकवाद के खात्मे में भारत उसके साथ खड़ा है। गनी के साथ श्रृंगला की बैठक के बारे में कुमार ने कहा कि अफगान राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान में लोकतंत्र एवं संवैधानिक व्यवस्था के प्रति भारत के निरंतर सहयोग की सराहना की।

कुमार ने कहा कि विदेश सचिव ने अफगानिस्तान के नेतृत्व के साथ वहां के विकास एवं शांति प्रयासों पर सार्थक चर्चा की। दोहा में शनिवार को अमेरिका और तालिबान के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर होने हैं जिससे इस देश में तैनाती के करीब 18 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ होगा।

स्वतंत्र, संप्रभु, लोकतांत्रिक, बहुलवादी और समावेशी अफगानिस्तान से इस क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा

अब्दुल्ला के साथ श्रृंगला की बैठक के बाद रवीश कुमार ने ट्वीट किया कि दोनों इस बात पर राजी थे कि स्वतंत्र, संप्रभु, लोकतांत्रिक, बहुलवादी और समावेशी अफगानिस्तान से इस क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि विदेश सचिव ने सतत शांति, सुरक्षा और विकास की अफगानिस्तान के लोगों की कोशिशों में भारत का पूर्ण समर्थन व्यक्त किया।

अफगानिस्तान में शांति और सुलह प्रक्रिया का भारत एक अहम पक्षकार है। एक महत्वपूर्ण कदम के तहत भारत ने मास्को में नवंबर 2018 में हुई अफगान शांति प्रक्रिया में गैर आधिकारिक क्षमता में दो पूर्व राजनयिकों को भेजा था। इस सम्मेलन का आयोजन रूस द्वारा किया गया था जिसमें तालिबान का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल, अफगानिस्तान, अमेरिका, पाकिस्तान और चीन समेत समेत कई अन्य देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे। शांति समझौते से पहले भारत ने अमेरिका को यह बता दिया है कि वह पाकिस्तान पर उसकी जमीन से चल रहे आतंकी नेटवर्कों को बंद करने के लिये दबाव डालता रहे यद्यपि अफगानिस्तान में शांति के लिये उसका सहयोग महत्वपूर्ण है।

शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी की संभावना

इस समझौते के तहत दोनों शत्रुओं के बीच चरमपंथ खत्म करने के बदले अफगानिस्तान से हजारों अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाए जाने पर सहमति बनी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगान लोगों से नया भविष्य बुनने के मौके का लाभ उठाने की अपील की।

उन्होंने हस्ताक्षर कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर कहा कि अगर तालिबान और अफगान सरकार अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर पाते हैं तो हम अफगानिस्तान में युद्ध खत्म करने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ सकेंगे और अपने सैनिकों को घर वापस ला पाएंगे।

ट्रंप ने कहा कि वह संधि पर हस्ताक्षर के लिए विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ को भेज रहे हैं और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर काबुल सरकार के साथ अलग से घोषणा-पत्र जारी करेंगे। उम्मीद है कि इस समझौते से काबुल सरकार और तालिबान के बीच संवाद होगा और अगर यह बातचीत सार्थक रहती है तो अफगान युद्ध अंतत: समाप्त हो जाएगा।

Related Post

CM Vishnudev Sai

मुख्यमंत्री साय ने स्वर्गीय जूदेव की जयंती पर उन्हें नमन किया

Posted by - March 8, 2024 0
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (CM Vishnudev Sai) ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास में पूर्व सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री स्वर्गीय…
इलियाना डिक्रूज

तस्वीरों की एडिटिंग से भड़की इलियाना डिक्रूज, बोलीं- कुछ खास अंगों को उभारना सही नहीं

Posted by - November 26, 2019 0
नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्ट्रेस इलियाना डिक्रूज खुलकर अपनी बेबाक बता रखने के लिए जानी जाती हैं। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया…