2006 में मलावी में दूरदराज के योबे कोसी गांव में बिजली नहीं थी। बच्चे मोमबत्ती में पढ़ाई करते थे। तब गांव के 23 वर्षीय कोलरेर्ड कोसी 40 किलोमीटर दूर जिंबा स्कूल से 12वीं पास कर गांव लौटे तो उन्होंने घर में कबाड़ से डायनुमा बनाया। फिर घर के पास से गुजरने वाली जल धारा से बिजली बना दी, उनका घर बिजली से रोशन होने की खबर गांव में फैली गई।
कोलरेर्ड ने बताया- ‘मुझसे गांव वाले कहने लगे कि हमारे यहां भी बिजली पहुंचाओ। मैं न तो इंजीनियरिंग पढ़ा था, न ही इलेक्ट्रीशियन के रूप में ट्रेंड। टरबाइन के लिए मैंने पुराने फ्रिज का कंप्रेशर गांव में बह रही नदी में लगाया। ये जुगाड़ भी काम कर गई और छह घर रोशन होने लगे। फिर कबाड़ हो चुकी मशीन से निकालकर एक बड़ी टर्बाइन गांव के बाहर लगा दी है। बांस के खंभों से तार ले जाकर बिजली अब गांव के घरों में पहुंच रही है।
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बिजली गांव वालों को मुफ्त मिलती है। बस उन्हें प्लांट के मेंटेनेंस के रूप में 80 रु. प्रति घर के हिसाब से देने होते हैं। गांव को रोशन करने के बाद कोलरेर्ड अब मिनी ग्रिड लगाना चाहते हैं। ग्रामीण कहते हैं कि कोलरेर्ड ने गांव ही रोशन नहीं किया, हमारे जीवन में भी उम्मीद का उजाला ला दिया है।