नई दिल्ली। भोपाल लोकसभा सीट की चर्चित उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के मुकाबले में हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में लाखों-करोड़ों रुपये की राशि खर्च होती है, लेकिन बीजेपी के इस उम्मीदवार की जीविका का साधन भीख और समाज पर निर्भरता है।
भोपाल लोकसभा सीट पर छठवें चरण में 12 मई को होगा मतदान
भोपाल लोकसभा सीट पर छठवें चरण में 12 मई को मतदान होना है, जिसके लिए 16 अप्रैल से नामांकन जमा हो रहे हैं। साध्वी प्रज्ञा ने 23 अप्रैल को जो जिला निर्वाचन अधिकारी के पास के शपथपत्र जमा किया है। उसके अनुसार साध्वी प्रज्ञा की जीविका का साधन भिक्षाटन/समाज पर निर्भरता है।
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राम नाम की चांदी की ईंट और 2 किलो का चांदी का कमंडल की मालकिन हैं साध्वी प्रज्ञा
शपथ पत्र के अनुसार, साध्वी के पास हाथ में नकदी 90 हजार रुपये है। तो वहीं 4,44,224 रुपये के जेवरात और मूल्यवान वस्तुएं हैं। इनमें मूल्यवान वस्तुओं में चांदी का एक दो किलो का कमंडल है जिसकी कीमत 81 हजार रुपये तो वहीं चांदी की राम नाम की जड़ी हुई 150 ग्राम की ईंट भी है। जिसकी कीमत 7 हजार रुपये है। इसके अलावा, चांदी के बर्तन, सोने की चेन और लॉकेट भी उनके पास हैं।
उच्च शिक्षित हैं साध्वी प्रज्ञा
शपथपत्र के अनुसार साध्वी की उम्र 49 साल है। वह उच्च शिक्षित हैं। 1994 में लहार से बीए फाइनल, 1996 में भिंड से एमए फाइनल और 1997 में विद्या निकेतन ऑफ फिजिकल एजुकेशन, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल से बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन की डिग्री ली है।
सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं साध्वी
फेसबुक पर iamsadhvipragya, इंस्टाग्राम पर mesadhvipragya और ट्विटर पर @mesadhvipragya नाम के अकाउंट वह खुद हैंडल करती हैं।
शपथपत्र के अनुसार साध्वी प्रज्ञा का क्रिमिनल रिकॉर्ड
शपथपत्र में साध्वी ने अपने ऊपर लगे केस की जानकारी भी दी गई है। शपथपत्र के अनुसार, साध्वी पर एक केस लंबित है जो मालेगांव के आजादनगर थाने में दर्ज हुआ था। इस केस का एफआईआर क्रमांक 130/2008 है। ये केस स्पेशल एनआईए न्यायालय, मुंबई में चल रहा है। धारा 18 अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट 1967 और आईपीसी की सहपठित धारा 120 बी, 302, 307, 324, 326, 427, 153ए के तहत मामला दर्ज है। इसके साथ इंडियन एक्सप्लोसिव सब्सटेंसेस एक्ट 1908 की धारा 3, 4, 5, 6 के तहत भी मामला दर्ज है।
कथित हत्या, कथित हत्या का प्रयास एवं कथित आतंकवादी कृत्य के तहत ये मामला है जिसमें 30 अक्टूबर 2018 को आरोप पहली नजर में सिद्ध पाए गए हैं। अभी डिस्चार्ज आवेदन के निरस्ती के विरुद्ध अपील एनआईए अधिनियम के अंतर्गत बांबे उच्च न्यायालय में पेंडिंग है।