आम आदमी पार्टी के नेता रविंद्र जुगरान ने कहा कि भारत सरकार ने साल 2019 में वृक्षारोपण और वनाग्नि रोकने के लिए 47,436 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की थी जिसमें 27 राज्यों में उत्तराखंड राज्य भी शामिल था, इसके तहत आधुनिक तकनीक और सैटेलाइट की मदद से वनों को आग से बचाने समेत कई तकनीक शामिल थी।
उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट को लेकर इसलिए चिंता, शंका और अंदेशा है कि जिस प्रकार से पायलट प्रोजेक्ट के लिए कंपनी का चयन किया गया, वह पहली नजर में किसी विशेष कंपनी या समूह पर मेहरबानी करने के उद्देश्य से सभी मानकों को ताक पर रखकर प्रक्रियाएं अपनाई गई, जो कहीं से भी न्यायोचित नहीं है।
जुगरान ने आरोप लगाते हुए कहा कि पायलट प्रोजेक्ट को एलॉट करते हुए भारी भरकम बजट को ठिकाने लगाने का ताना-बाना बुना गया है, जिसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने चेताया कि यदि समय रहते जांच नहीं हुई तो उन्हें न्यायालय की शरण में जाने पर मजबूर होना पड़ेगा।
आम आदमी पार्टी ने इस प्रोजेक्ट को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं. जिस कंपनी को यह पायलट प्रोजेक्ट अलॉट किया गया, उसके पास इस तरह के कार्यों का कोई भी अनुभव नहीं है और इस कंपनी के मुख्य निदेशक पर साल 2015 में ग्यारह सौ एकड़ की जमीन घोटाले में भ्रष्टाचार के केस चल रहे हैं। ऐसे में कंपनी को 11 फरवरी 2020 को एफएसआई की ओर से पायलट प्रोजेक्ट के लिए सरकारी पत्र कैसे जारी किया गया।