आठ सितंबर उच्चतम न्यायालय ने संजय कुमार मिश्रा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का निदेशक नियुक्त करने के 2018 के आदेश में पूर्व प्रभावी बदलाव को चुनौती देने वाली एक गैर सरकारी संगठन की याचिका बुधवार को खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि जिन मामलों की जांच चल रही है उन्हें पूरा करने के लिए उचित सेवा विस्तार दिया जा सकता है। इसका मतलब है कि संजय मिश्रा का कार्यकाल नवंबर में खत्म होने के बाद आगे सेवा विस्तार नहीं मिलेगा।
18 अगस्त को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि नियमों में नहीं लिखा है कि कार्यकाल तीन साल नहीं हो सकता है। ईडी निदेशक के हटने से कई संवेदनशील जांच पर असर पड़ सकता है। 17 अगस्त को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ईडी के डायरेक्टर के काम सराहनीय हैं लेकिन वो ये जरूर देखेगा कि उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता था कि नहीं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि ईडी के डायरेक्टर का सेवा विस्तार प्रकाश सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मजाक है।
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सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संजय कुमार मिश्रा के सेवा विस्तार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा था कि पिछले दो वर्षों में तीन बड़े केसों में नौ हजार करोड़ रुपये जमा किए गए। ये तीनों मामले विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा था कि ईडी डायरेक्टर का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्षों का होता है लेकिन अच्छी वजहों से ये बढ़ाई जा सकती है।