कृषि कानून के खिलाफ किसानों का का आंदोलन पिछले 8 महीने से जारी है, किसानों ने अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर आंदोलन करने की रणनीति बनाई है। किसानों के संयुक्त मोर्चा ने सोमवार को लखनऊ में यह घोषणा करते हुए इसका नाम मिशन यूपी और उत्तराखंड रखा। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा की मोर्चा का एकमात्र उद्देश्य भाजपा को सत्ता से हटाना है ताकि नै सरकार कृषि कानूनों को निरस्त कर सके।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का दावा है कि कृषि कानूनों में किसान विरोधी कुछ नहीं, यह प्रधानमंत्री का बहुत बड़ा झूठ है। किसान नेताओं ने कहा- हम सत्तारूढ़ भाजपा के साथ युद्ध में हैं और देश का एक भी किसान भविष्य में इस पार्टी को वोट नहीं देगा।
राष्ट्रीय किसान मंच में कहा गया है कि पिछले सात महीनों से अधिक समय से किसान दिल्ली की सीमा पर केन्द्र के नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार पूँजीपतियों को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से उनकी अनदेखी कर रही है। शेखर दीक्षित ने दावा किया कि भाजपा सरकार ने 2017 में किसानों से जितने वादे किए थे, वो सब झूठे साबित हुए। उन्होंने कहा, ‘‘गन्ना किसानों को 10 दिन में उनका पैसा नहीं मिला, खाद से लेकर बीज तक सबकी कीमत बढ़ गयी और ऊपज बेचने जाओ तो किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है.’’ उन्होंने सवाल किया कि ऐसे में किसान कैसे जीएगा?
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शेखर दीक्षित ने विपक्षी दलों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि किसानों ने सपा, बसपा और कांग्रेस की सरकारें भी देखी हैं, सभी के सुर सत्ता में आते ही बदल जाते हैं। उन्होंने कहा कि अगले चुनाव में मंच उत्तर प्रदेश की सभी 403 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा। उन्होंने कहा कि संगठन ने आगामी तीन महीनों में एक करोड़ नए सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है।