अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और 40 वैश्विक नेताओं के आगामी सम्मेलन सहित जलवायु से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि चर्चा मुख्य रूप से जलवायु नेताओं के सम्मलेन, आगामी संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप26) और यूएन फ्रेमवर्क कन्वेन्शन आॅन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसी) से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित रही।
जलवायु मुद्दों पर अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत केरी भारत के दौरे पर आए हुए हैं। बागची ने एक ट्वीट में कहा, जलवायु से जुड़े मुद्दों के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। चर्चा जलवायु नेताओं के आगामी सम्मेलन और कॉप26 से लेकर यूएनएफसीसी के संदर्भ में जलवायु मुद्दों पर केंद्रित रही, जो इस साल के अंत में होनी है।
केरी ने मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के साथ अलग-अलग बैठकें की थी, जिनमें वैश्विक जलवायु कार्वाई से जुड़े मुद्दों पर जोर रहा था। बैठकों के बाद केरी ने एक ट्वीट में भारत को जलवायु संकट के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण साझेदार बताया। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो केंद्रीय मंत्रिमंडल को बुधवार को भारत और जापान शैक्षणिक व अनुसंधान सहयोग और परस्पर आदान-प्रदान से जुड़े एक समझौता ज्ञापन की जानकारी दी गई, जिसके तहत दोनों देश वायुमंडलीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों, समन्वयात्मक वैज्ञानिक प्रयोगों से संबंधित क्षेत्रों में सहयोग करेंगे।
अमेरिकी दूत जॉन केरी से मिले प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह जानकारी दी गई। सरकारी बयान के अनुसार, भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग की राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला (एनएआरएल) और जापान के क्योटो विश्वविद्यालय के रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल ह्यूमनोस्फेयर (आरआईएसएच) के बीच 4 नवंबर 2020 और 11 नवंबर 2020 को सबंधित संस्थानों के बीच शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग एवं परस्पर आदान-प्रदान के लिए एक समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर हुए थे। इसके तहत तहत दोनों देश वायुमंडलीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा समन्वयात्मक वैज्ञानिक प्रयोगों एवं अभियानों और प्रतिमान अध्ययनों से संबंधित क्षेत्रों में सहयोग करेंगे।
दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक विशेष सामग्री, प्रकाशनों और सूचनाओं का आदान-प्रदान, संयुक्त अनुसंधान बैठकों एवं कार्यशालाओं, संकाय सदस्यों, छात्रों एवं अनुसंधानकर्ताओं के आदान प्रदान को जारी रखा जाएगा।
बयान के अनुसार, इस समझौते ज्ञापन पत्र के माध्यम से जापान के शिगराकी में मध्यम और ऊपरी वायुमंडलीय (एमयू) रडार, इंडोनेशिया के कोतोताबंग में भूमध्यवर्ती वायुमंडलीय रडार (ईएआर) और आरआईएसएच में उपलब्ध अनुपूरक उपकरणों के साथ-साथ एनएआरएल में मध्यमंडल-समतापमंडल-क्षोभमंडल (एमएसटी) रडार एवं उपलब्ध अनुपूरक उपकरणों जैसी सुविधाओं का परस्पर उपयोग किया जा सकेगा।
एनएआरएल और आरआईएसएच, वायुमंडलीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के साथ-साथ वैज्ञानिकों के परस्पर आदान-प्रदान में सहयोग करते रहे हैं। यह व्यवस्था एक समझौता ज्ञापन पत्र के माध्यम से 2008 में बनायी गई थी। उपरोक्त समझौते ज्ञापन पत्र को 2013 में नवीनीकृत किया गया। दोनों पक्षों ने नए दिशा-निर्देशों के अनुरूप सहयोगात्मक अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के लिए एक नवीन समझौते ज्ञापन पत्र पर नवंबर 2020 में हस्ताक्षर किए और इनका आदान-प्रदान किया। बाइडन खासा ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने 20 जनवरी को अपने शपथ ग्रहण के बाद अमेरिका के पेरिस जलवायु समझौते में लौटने की घोषणा की थी।