CM Vishnudev Sai

सीएम साय ने रथयात्रा का किया शुभारंभ, छेरापहरा का किया पारंपरिक अनुष्ठान

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रायपुर।छत्तीसगढ़ की राजधानी में बड़े धूमधाम से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra) निकाली गई। रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर से रविवार की सुबह प्रभु की रथयात्रा निकली। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (CM Vishnudev Sai) , राज्यपाल विष्वभूषण हरिचंदन, पूर्व सीएम बघेल और सांसद बृजमोहन अग्रवाल सहित कई दिग्गज नेता भी प्रभु का आशीर्वाद पाने मंदिर मौजूद रहे। राज्यपाल विश्वभुषण तथा मुख्यमंत्री साय ने छेरापहरा का पारंपरिक अनुष्ठान किया और सोने की झाडू से झाडू लगाया। इसके बाद मुख्यमंत्री साय ने प्रभु जगन्नाथ की प्रतिमा को रथ तक लेकर गए और रथयात्रा का शुभारंभ किया।

मंदिर समिति के अध्यक्ष विधायक पुरंदर मिश्रा ने बताया कि सुबह 7 से 10 बजे तक विशेष पूजा अर्चना, अभिषेक एवं हवन हुआ । 11.15 से हवन होगा। 11.30 बजे राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने पूजा-अर्चना कर जगन्नाथ स्वामी, बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्ति को रथ पर विराजमान किया । रथयात्रा बीटीआई मैदान शंकर नगर तक निकलेगी। मंदिर परिसर में भगवान के मौसी के घर बनाया गया है।

इस अवसर पर विष्णुदेव साय (CM Vishnudev Sai) ने सभी प्रदेशवासियों को रथयात्रा की बधाई देते हुए कहा कि यह पर्व ओडिशा के लिए जितना बड़ा उत्सव है, उतना ही बड़ा उत्सव छत्तीसगढ़ के लिए भी है। महाप्रभु जगन्नाथ जितने ओडिशा के लोगों को प्रिय हैं, उतने ही छत्तीसगढ़ के लोगों को भी प्रिय हैं, और उनकी जितनी कृपा ओडिशा पर रही है। उतनी ही कृपा छत्तीसगढ़ पर रही है।

मुख्यमंत्री साय (CM Vishnudev Sai) ने कहा कि भगवान जगन्नाथ किसानों के रक्षक हैं। उन्हीं की कृपा से बारिश होती है। उन्हीं की कृपा से धान की बालियों में दूध भरता है और उन्हीं की कृपा से किसानों के घर समृद्धि आती है। मैं भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करता हूं कि इस साल भी छत्तीसगढ़ में भरपूर फसल हो। उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा से मेरी प्रार्थना है कि वे हम सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें और हमें शांति, समृद्धि और खुशहाली की ओर अग्रसर करें।

रथयात्रा महोत्सव में शामिल हुए राज्यपाल हरिचंदन, मुख्यमंत्री भी रहे मौजूद

छत्तीसगढ़ में भी रथयात्रा का बड़ा प्रभाव है। आज निकाली गई रथयात्रा में प्रभु जगन्नाथ, भैया बलदाऊ और बहन सुभद्रा की खास अंदाज में पूजा-अर्चना की गई।जगन्नाथ मंदिर के पुजारी के अनुसार उत्कल संस्कृति और दक्षिण कोसल की संस्कृति के बीच की यह एक अटूट साझेदारी है। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान छत्तीसगढ़ का शिवरीनारायण-तीर्थ है। यहीं से वे जगन्नाथपुरी जाकर स्थापित हुए। शिवरीनारायण में ही त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने माता शबरी के मीठे बेरों को ग्रहण किया था। यहां वर्तमान में नर-नारायण का मंदिर स्थापित है।

छत्तीसगढ़ की राजधानी स्थित जगन्नाथ मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी विशेष हवन और पूजा की जा रही है। इस अवसर पर रविवार को यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन को आते हैं। वहीं जगन्नाथ सेवा समिति ने इस साल बड़े पैमाने पर प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी की है।रथयात्रा के दिन जगन्नाथ मन्दिर गायत्री नगर में 11 पन्डितों द्वारा जगन्नाथ जी का विशेष अभिषेक, पूजा और हवन करते हुए रक्त चंदन, केसर, गोचरण, कस्तुरी और कपूर स्नान के पश्चात् भगवान को गजामूंग का भोग लगाया गया है।

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