self dependent

किन्नर कर रहे हैं आत्म निर्भर होने का प्रयास

708 0

लखनऊ। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा विकसित सहभागिता संस्था के सहयोग से मोहनी नामक किन्नर ने मलिहाबाद में अपने जीवन यापन के लिए मुर्गी पालन के व्यवसायों को चुना। मलिहाबाद के आम के बागों में मुर्गी पालन को व्यवसायिक बनाने के लिए संस्थान द्वारा फार्मर्स फर्स्ट प्रोजेक्ट के अंतर्गत प्रयासों के फल स्वरुप कई भूमिहीन एवं छोटी जोत वाले किसानों ने आम के बागों के बीच में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित की गई किसमें जैसे कारी निर्भीक, कारी देवेंद्र, कारी शील और कड़कनाथ को पालना प्रारंभ किया।

किन्नरों को अधिकतर अपने ही परिवार से विस्थापित होना पड़ता है । इनके साथ सामाजिक रूप से दुर्व्यवहार और अत्याचार होता रहा है। पहली बार 2011 भारतीय जनगणना में ट्रांसजेंडर आबादी की गणना की गयी जिनकी संख्या साढ़े चार लाख है लेकिन असल में इनकी संख्या 20 लाख के आस पास हो सकती है । सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2014 से भारतीय कानून में किन्नरों को तीसरा लिंग घोषित किया लेकिन फिर भी अधिकत्तर किन्नर आज भी इस आधुनिकता के युग में परंपरागत पेशा को अपनाकर जीवन यापन कर रहे है ।

यूपी पुलिस ने उन्नाव कांड का किया राजफाश, दो युवक गिरफ्तार

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ के फार्मर फर्स्ट परियोजना द्वारा चलाये जा रहे आम आधारित मुर्गी पालन से प्रेरित होकर माल- मलिहाबाद प्रखंड की किन्नर 35 वर्ष की मोहिनी ने अपनी परंपरा से हटकर अपना व्यवसाय शुरू किया जो अन्य किन्नरों के लिए भी एक मिसाल है। उन्होंने फार्मर फर्स्ट परियोजना से जुड़कर अपना कड़कनाथ पोल्ट्री फार्म खोलने का मन बनाया। इसके बाद सहभागिता स्वयं सहायता समूह, मलिहाबाद से इसके बारे में प्रशिक्षण प्राप्त किया। जिसमे इनको कम लागत में बाड़ा बनाना, दाना बनाना तथा बीमारियों से बचाने का उपाय बताया गया ।

उसके बाद उन्होंने आर्यन बागवान पोल्ट्री फार्म, माल-मलिहाबाद से मुर्गो की बिरादरी का शेर कहे जाने वाले कड़कनाथ के 500 चूजे क्रय करके अपना व्यवसाय शुरू किया। किन्नर मोहिनी ने बताया की लैंगिक भेदभाव के कारण हमलोगों को कोई जल्दी न तो नौकरी देता है और न ही बैंक स्वरोजगार के लिए लोन देना चाहती है। जिसके वजह से आज भी हम लोगों का मुख्य पेशा शिशु के जन्म पर घर-घर जाकर बधाई देना और ईनाम बख्शीस से जो भी आय होती है उसी से अपना जीवन यापन करना पड़ता है। उन्होंने अपनी समाज की सभी किन्नरों से निवेदन किया की अपना खुद का व्यवसाय शुरू करके आत्मनिर्भर बनें।

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ शैलेन्द्र राजन ने बताया की आम बागवानों की आय बढ़ाने हेतु मलिहाबाद प्रखंड के तीन गाँव में फार्मर फर्स्ट परियोजना चलाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत आम बागवानों को बांगो में पाले जानी वाली मुर्गी की नस्ल जैसे कैरी निर्भीक, कैरी देवेन्द्र, अशील, कड़कनाथ इत्यादि दी गयी। ये मुर्गियां बाग़ में चरती है। अपना भोजन कीटों, खरपतवारों के बीजों एवं सड़े-गले अनाज, सब्जिओं एवं हरे चारे से प्राप्त कर लेते है।

इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होने के कारण इसको पलने में खर्च कम आता है। जबकि ब्रायलर मुर्गों की तुलना में प्रति मुर्गों की कीमत 1000 रूपये से अधिक मिलती है। उन्होंने बताया की फार्मर फर्स्ट परियोजना के अंतर्गत छोटे व सीमांत किसान, महिलाओं, बंजारों एवं किन्नरों को भी जोड़कर उनको स्वरोजगार के लिए प्रेरित करके आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है ।

Related Post

Foreign Ministry spokesman Arindam Bagchi

सरकार ने विदेशी मिशन से की अपील, न करें Oxygen और कोविड जरूरतों की होर्डिंग

Posted by - May 2, 2021 0
नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने देश में स्थित विभिन्न दूतावासों,  उच्चायोंगों और राजनयिक मिशनों से कोविड की विकट स्थिति को…
G-Vilas pasand

जी-विलास पसंद नाम की अमरूद की प्र​जाति का पीपीवी और एफआरए के तहत पंजीकरण

Posted by - January 14, 2021 0
लखनऊ। मलिहाबाद के किसान रामविलास मौर्या ने जी-विलास पसंद (G-Vilas pasand) नाम की अमरूद की एक किस्म विकसित की है।…
टूथपेस्ट के साथ एक्सपेरीमेंट

टूथपेस्ट के साथ एक्सपेरीमेंट, 90 लाख से ज्यादा बार देखा गया ये Video

Posted by - December 21, 2019 0
नई दिल्ली। टिकटॉक टॉप पांच वीडियो में देखिए दुनिया का सबसे बड़ा टूथपेस्ट एक्सपेरीमेंट। जी हां, इस एक्सपेरीमेंट में काफी…